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कृष्णा अग्निहोत्री को 'रत्नभारती पुरस्कार', 'अक्षरा सम्मान' सहित कई राष्ट्रीय एवं [[पंजाब]], [[हरियाणा]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]] और [[राजस्थान]] से राज्य कई स्तरीय पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। फिलहाल वे [[इंदौर]] में रहकर साहित्य की सेवा कर रही हैं। | कृष्णा अग्निहोत्री को 'रत्नभारती पुरस्कार', 'अक्षरा सम्मान' सहित कई राष्ट्रीय एवं [[पंजाब]], [[हरियाणा]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]] और [[राजस्थान]] से राज्य कई स्तरीय पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। फिलहाल वे [[इंदौर]] में रहकर साहित्य की सेवा कर रही हैं। |
13:01, 30 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
कृष्णा अग्निहोत्री (जन्म- 1934, नसीराबाद, राजस्थान) हिन्दी की शीर्ष महिला कथाकार मानी जाती हैं। उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य एवं हिन्दी साहित्य में एम.ए. एवं पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की है। मध्यम वर्ग की विदूरपताओं के साथ-साथ उनकी खुशियों को भी उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रमुखता से जगह दी है।
रचना कार्य
कृष्णा जी का पहला उपन्यास 'जोधा मीरा' वर्ष 1978 में प्रकाशित हुआ था। उनके अन्य चर्चित उपन्यास इस प्रकार हैं-
- 'टपरेवाले'
- 'नीलोफर'
- 'बीता भर की छोकरी'
अब तक उनके 12 से भी अधिक उपन्यास, 15 कहानी संग्रह, पाँच बालकथा संग्रह, दो आत्मकथा एवं एक रिपोर्ताज प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी साहित्य रचना में स्त्री पात्र प्रमुखता से आती हैं।
पुरस्कार व सम्मान
कृष्णा अग्निहोत्री को 'रत्नभारती पुरस्कार', 'अक्षरा सम्मान' सहित कई राष्ट्रीय एवं पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान से राज्य कई स्तरीय पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं। फिलहाल वे इंदौर में रहकर साहित्य की सेवा कर रही हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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