"पंचमढ़ी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Dhoopgarh-Pachmarhi.jpg|thumb|250px|[[धूपगढ़ शिखर|धूपगढ़]], पंचमढ़ी]]
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
 +
|चित्र=Dhoopgarh-Pachmarhi.jpg
 +
|चित्र का नाम=धूपगढ़ शिखर, पंचमढ़ी
 +
|विवरण='पंचमढ़ी' [[मध्य प्रदेश]] का एकमात्र पर्वतीय स्थल है। [[सतपुड़ा पर्वतश्रेणी|सतपुड़ा श्रेणियों]] के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे "सतपुड़ा की रानी" भी कहा जाता है।
 +
|राज्य=[[मध्य प्रदेश]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=होशंगाबाद
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=समुद्र तल से 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित।
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=पहाड़ी पर्यटन स्थल
 +
|कब जाएँ=
 +
|कैसे पहुँचें=
 +
|हवाई अड्डा=[[भोपाल]]
 +
|रेलवे स्टेशन=पिपरिया, इटारसी
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=पिन
 +
|पाठ 1=461881
 +
|शीर्षक 2=प्रशासनिक भाषा
 +
|पाठ 2=[[हिन्दी]]
 +
|अन्य जानकारी=पंचमढ़ी को 'मध्य प्रदेश की छ्त' भी कहा जाता है। पंचमढ़ी की खोज [[1862]] ई. में कैप्टन फोरसाइथ ने की थी। इन्होंने 'हाइलैंड्स ऑफ़ सेंट्रल इंडिया' नामक एक [[ग्रंथ]] भी लिखा था।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 
'''पंचमढ़ी''' [[मध्य प्रदेश]] की [[सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]] में [[समुद्र]] के तल से 3,500 फुट से 4,000 फुट तक की ऊँचाई पर [[नर्मदा नदी]] के निकट स्थित एक पहाड़ी स्थान है। इसका नाम 'पांच मढ़ियों' या प्राचीन गुफाओं के कारण है, जो किंवदंती के अनुसार [[महाभारत]] कालीन हैं। कहा जाता है कि अपने एक वर्ष के अज्ञात वास के समय [[पांडव]] इन गुफाओं में रहे थे। पंचमढ़ी को 'मध्य प्रदेश की छ्त' भी कहा जाता है।
 
'''पंचमढ़ी''' [[मध्य प्रदेश]] की [[सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]] में [[समुद्र]] के तल से 3,500 फुट से 4,000 फुट तक की ऊँचाई पर [[नर्मदा नदी]] के निकट स्थित एक पहाड़ी स्थान है। इसका नाम 'पांच मढ़ियों' या प्राचीन गुफाओं के कारण है, जो किंवदंती के अनुसार [[महाभारत]] कालीन हैं। कहा जाता है कि अपने एक वर्ष के अज्ञात वास के समय [[पांडव]] इन गुफाओं में रहे थे। पंचमढ़ी को 'मध्य प्रदेश की छ्त' भी कहा जाता है।
{{tocright}}
 
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
 
पंचमढ़ी का नाम पाँच मढ़ियों या प्राचीन गुफाओं के कारण पंचमढ़ी पड़ा है। यहाँ [[महादेव पहाड़ियाँ|महादेव पहाड़ी]] के शैलाश्रयों में शैलचित्रों का भण्डार मिला है। इनमें से अधिकतर शैलचित्र पाँचवी से आठवीं शताब्दी के हैं, किंतु सबसे प्राचीन चित्र दस हज़ार साल पहले के माने जाते हैं। महादेव पर्वत शृंखलाओं में 5 मील {{मील|मील=5}} के घेरे में लगभग पचास शिलाश्रय चित्रित पाए गए हैं। इन गुफ़ा एवं चित्रों की खोज का श्रेय डॉ.एच. गार्डन को दिया जाता है। इन गुफाओं के चित्र आदिकाल से ऐतिहासिक काल तक निरंतर रचे गए थे। पूर्वकाल के चित्र डमरुनुमा तथा तख्तीनुमा मानवाकार वाले हैं तथा बाद के काल के चित्र परिष्कृत रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इस स्थल की मुख्य गुफाएँ- इमली-खोह, बनियाबेरी, मोण्टेरोजा, डोरोथीडीप, जम्बूदीप, निम्बूभोज, लश्करिया खोह, भांडादेव आदि हैं। पंचमढ़ी के [[चित्रकार|चित्रकारों]] ने मानव जीवन के सामान्य जन-जीवन की झाँकी बखूबी चित्रित की है। इन गुफ़ाओं में [[शेर]] का आखेट, [[स्वस्तिक]] की [[पूजा]], क्रीड़ा-नर्तन, बकरी, सितार वादक, गर्दभ मुँह वाला पुरुष, तंतुवाद्य का वादन करते पुरुष, दिव्यरथवाही, धनुर्धर तथा अनेक मानव व पशुओं की आकृतियाँ चित्रित की गई हैं। सर्वाधिक चित्रण शिकार पर आधारित है।
 
पंचमढ़ी का नाम पाँच मढ़ियों या प्राचीन गुफाओं के कारण पंचमढ़ी पड़ा है। यहाँ [[महादेव पहाड़ियाँ|महादेव पहाड़ी]] के शैलाश्रयों में शैलचित्रों का भण्डार मिला है। इनमें से अधिकतर शैलचित्र पाँचवी से आठवीं शताब्दी के हैं, किंतु सबसे प्राचीन चित्र दस हज़ार साल पहले के माने जाते हैं। महादेव पर्वत शृंखलाओं में 5 मील {{मील|मील=5}} के घेरे में लगभग पचास शिलाश्रय चित्रित पाए गए हैं। इन गुफ़ा एवं चित्रों की खोज का श्रेय डॉ.एच. गार्डन को दिया जाता है। इन गुफाओं के चित्र आदिकाल से ऐतिहासिक काल तक निरंतर रचे गए थे। पूर्वकाल के चित्र डमरुनुमा तथा तख्तीनुमा मानवाकार वाले हैं तथा बाद के काल के चित्र परिष्कृत रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इस स्थल की मुख्य गुफाएँ- इमली-खोह, बनियाबेरी, मोण्टेरोजा, डोरोथीडीप, जम्बूदीप, निम्बूभोज, लश्करिया खोह, भांडादेव आदि हैं। पंचमढ़ी के [[चित्रकार|चित्रकारों]] ने मानव जीवन के सामान्य जन-जीवन की झाँकी बखूबी चित्रित की है। इन गुफ़ाओं में [[शेर]] का आखेट, [[स्वस्तिक]] की [[पूजा]], क्रीड़ा-नर्तन, बकरी, सितार वादक, गर्दभ मुँह वाला पुरुष, तंतुवाद्य का वादन करते पुरुष, दिव्यरथवाही, धनुर्धर तथा अनेक मानव व पशुओं की आकृतियाँ चित्रित की गई हैं। सर्वाधिक चित्रण शिकार पर आधारित है।
पंक्ति 11: पंक्ति 49:
 
==महत्त्वपूर्ण जानकारी==
 
==महत्त्वपूर्ण जानकारी==
 
;अनुमानित दूरी
 
;अनुमानित दूरी
[[मध्य प्रदेश]] की राजधानी [[भोपाल]] से 200 [[पिपरिया]] से 47 कि.मी. की दूरी पर पंचमढ़ी स्थित है।
+
[[मध्य प्रदेश]] की राजधानी [[भोपाल]] से 200 पिपरिया से 47 कि.मी. की दूरी पर पंचमढ़ी स्थित है।
 
;कैसे पहुँचें
 
;कैसे पहुँचें
 
पंचमढ़ी पहुँचने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन पिपरिया, इटारसी है। निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है। पंचमढ़ी भोपाल, [[इंदौर]], पिपरिया, [[नागपुर]] से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।
 
पंचमढ़ी पहुँचने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन पिपरिया, इटारसी है। निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है। पंचमढ़ी भोपाल, [[इंदौर]], पिपरिया, [[नागपुर]] से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।

12:12, 16 अप्रैल 2017 का अवतरण

पंचमढ़ी
धूपगढ़ शिखर, पंचमढ़ी
विवरण 'पंचमढ़ी' मध्य प्रदेश का एकमात्र पर्वतीय स्थल है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे "सतपुड़ा की रानी" भी कहा जाता है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला होशंगाबाद
भौगोलिक स्थिति समुद्र तल से 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित।
प्रसिद्धि पहाड़ी पर्यटन स्थल
हवाई अड्डा भोपाल
रेलवे स्टेशन पिपरिया, इटारसी
पिन 461881
प्रशासनिक भाषा हिन्दी
अन्य जानकारी पंचमढ़ी को 'मध्य प्रदेश की छ्त' भी कहा जाता है। पंचमढ़ी की खोज 1862 ई. में कैप्टन फोरसाइथ ने की थी। इन्होंने 'हाइलैंड्स ऑफ़ सेंट्रल इंडिया' नामक एक ग्रंथ भी लिखा था।

पंचमढ़ी मध्य प्रदेश की सतपुड़ा पर्वतश्रेणी में समुद्र के तल से 3,500 फुट से 4,000 फुट तक की ऊँचाई पर नर्मदा नदी के निकट स्थित एक पहाड़ी स्थान है। इसका नाम 'पांच मढ़ियों' या प्राचीन गुफाओं के कारण है, जो किंवदंती के अनुसार महाभारत कालीन हैं। कहा जाता है कि अपने एक वर्ष के अज्ञात वास के समय पांडव इन गुफाओं में रहे थे। पंचमढ़ी को 'मध्य प्रदेश की छ्त' भी कहा जाता है।

इतिहास

पंचमढ़ी का नाम पाँच मढ़ियों या प्राचीन गुफाओं के कारण पंचमढ़ी पड़ा है। यहाँ महादेव पहाड़ी के शैलाश्रयों में शैलचित्रों का भण्डार मिला है। इनमें से अधिकतर शैलचित्र पाँचवी से आठवीं शताब्दी के हैं, किंतु सबसे प्राचीन चित्र दस हज़ार साल पहले के माने जाते हैं। महादेव पर्वत शृंखलाओं में 5 मील (लगभग 8 कि.मी.) के घेरे में लगभग पचास शिलाश्रय चित्रित पाए गए हैं। इन गुफ़ा एवं चित्रों की खोज का श्रेय डॉ.एच. गार्डन को दिया जाता है। इन गुफाओं के चित्र आदिकाल से ऐतिहासिक काल तक निरंतर रचे गए थे। पूर्वकाल के चित्र डमरुनुमा तथा तख्तीनुमा मानवाकार वाले हैं तथा बाद के काल के चित्र परिष्कृत रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इस स्थल की मुख्य गुफाएँ- इमली-खोह, बनियाबेरी, मोण्टेरोजा, डोरोथीडीप, जम्बूदीप, निम्बूभोज, लश्करिया खोह, भांडादेव आदि हैं। पंचमढ़ी के चित्रकारों ने मानव जीवन के सामान्य जन-जीवन की झाँकी बखूबी चित्रित की है। इन गुफ़ाओं में शेर का आखेट, स्वस्तिक की पूजा, क्रीड़ा-नर्तन, बकरी, सितार वादक, गर्दभ मुँह वाला पुरुष, तंतुवाद्य का वादन करते पुरुष, दिव्यरथवाही, धनुर्धर तथा अनेक मानव व पशुओं की आकृतियाँ चित्रित की गई हैं। सर्वाधिक चित्रण शिकार पर आधारित है।

विद्वान विचार

पंचमढ़ी झील

कुछ विद्वानों का यह मत भी है कि यु गुफाएँ वास्तव में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए बनवाई गई थीं। आधुनिक काल में पंचमढ़ी की खोज 1862 ई. में कैप्टन फोरसाइथ ने की थी। इन्होंने 'हाइलैंड्स ऑफ़ सेंट्रल इंडिया' नामक एक ग्रंथ भी लिखा था। इन्हें मध्य प्रान्त के चीफ कमिश्नर सर रिचर्ड टेम्पल ने सतपुड़ा की पहाड़ियों के इस भाग के अन्वेषण के लिए विशेष रूप से भेजा था।

आदिम जातियों का निवास

पंचमढ़ी में अब से लगभग सौ वर्ष पहले गोंड और कोरकू नामक आदिवासियों का निवास था। यहाँ की अनेक चट्टानों पर आदिम निवासियों के लेख पाये गए हैं। उनके चित्र भी शिलाओं पर उत्कीर्ण हैं, जिनके विषय मुख्यत: ये हैं- गाय, बैल, घोड़ा, हाथी, माला, रथ, रणभूमि के दृश्य तथा शिकार। गोंडों के इतिहास के ज्ञाताओं का कथन है कि गोंडों में प्रचलित किंवदंती में उनके जिस मूल स्थान काचीकोपालोहागढ़ का उल्लेख है, वह पंचमढ़ी का बड़ा महादेव और चौरागढ़ ही है। चौरागढ़ आज भी गोंडों का प्रसिद्ध देव स्थान है। यहाँ के देवालय में शिव की मूर्ति है, जिस पर भक्त लोग त्रिशूल चढ़ाते हैं। बेतवा (वेत्रवती) नदी का उद्गम पंचमढ़ी के निकट स्थित धूपगढ़ शिखर से हुआ है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4454 फुट है।

महत्त्वपूर्ण जानकारी

अनुमानित दूरी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 200 पिपरिया से 47 कि.मी. की दूरी पर पंचमढ़ी स्थित है।

कैसे पहुँचें

पंचमढ़ी पहुँचने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन पिपरिया, इटारसी है। निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है। पंचमढ़ी भोपाल, इंदौर, पिपरिया, नागपुर से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।

कहाँ ठहरें

पंचमढ़ी में ठहरने के लिए काफ़ी होटल हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक अपने बजट के हिसाब से उनमें ठहर सकते हैं। 'मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम' के होटल भी यहाँ सर्वसुविधायुक्त हैं।

कैसे घूमें

पंचमढ़ी के दर्शनीय स्थलों को घुमाने के लिए जीप सुविधा उपलब्ध रहती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख