"तप्तसूर्मि" के अवतरणों में अंतर

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*'तप्तसूर्मि' नरक में उस व्यक्ति को भी भेजा जाता है, जो जबरन किसी स्त्री से समागम करता है, उसे नरक में कोड़े से पीटकर लोहे की तप्त खंभों से आलिंगन करवाया जाता है।
 
*'तप्तसूर्मि' नरक में उस व्यक्ति को भी भेजा जाता है, जो जबरन किसी स्त्री से समागम करता है, उसे नरक में कोड़े से पीटकर लोहे की तप्त खंभों से आलिंगन करवाया जाता है।
 
*'[[श्रीमद्भागवत]]' और '[[मनुस्मृति]]' के अनुसार नरकों के नाम इस प्रकार हैं-
 
*'[[श्रीमद्भागवत]]' और '[[मनुस्मृति]]' के अनुसार नरकों के नाम इस प्रकार हैं-
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{{नरक के नाम}}
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! क्रम संख्या
 
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|1.
 
|तामिस्त्र
 
|2.
 
|अंधसिस्त्र
 
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|3.
 
|रौवर
 
|4.
 
|महारौवर
 
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|5.
 
|कुम्भीपाक
 
|6.
 
|कालसूत्र
 
|-
 
|7.
 
|आसिपंवन
 
|8.
 
|सकूरमुख
 
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|9.
 
|अंधकूप
 
|10.
 
|मिभोजन
 
|-
 
|11.
 
|संदेश
 
|12.
 
|तप्तसूर्मि
 
|-
 
|13.
 
|वज्रकंटकशल्मली
 
|14.
 
|वैतरणी
 
|-
 
|-
 
|15.
 
|पुयोद
 
|16.
 
|प्राणारोध
 
|-
 
|17.
 
|विशसन
 
|18.
 
|लालभक्ष
 
|-
 
|19.
 
|सारमेयादन
 
|20.
 
|अवीचि
 
|-
 
|21.
 
|अय:पान
 
|22.
 
|क्षरकर्दम
 
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|23.
 
|रक्षोगणभोजन
 
|24.
 
|शूलप्रोत
 
|-
 
|25.
 
|दंदशूक
 
|26.
 
|अवनिरोधन
 
|-
 
|27.
 
|पर्यावर्तन
 
|28.
 
|सूचीमुख
 
|}
 
  
 
उपरोक्त 28 तरह के नरक माने गए हैं, जो सभी धरती पर ही बताए जाते हैं। इनके अतिरिक्त '[[वायुपुराण]]' और '[[विष्णुपुराण]]' में भी कई नरक कुंडों के नाम लिखे हैं, जैसे- 'वसाकुंड', 'तप्तकुंड', 'सर्पकुंड' और 'चक्रकुंड' आदि। इन नरक कुंडों की संख्या 86 है। इनमें से सात नरक [[पृथ्वी]] के नीचे हैं और बाकी लोक के परे माने गए हैं। उनके नाम हैं- 'रौरव', 'शीतस्तप', 'कालसूत्र', 'अप्रतिष्ठ', 'अवीचि', 'लोकपृष्ठ' और 'अविधेय' हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/religion-hindu/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95-1120915028_1.htm|title=कितने और कहाँ होते हैं नरक|accessmonthday=29 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
उपरोक्त 28 तरह के नरक माने गए हैं, जो सभी धरती पर ही बताए जाते हैं। इनके अतिरिक्त '[[वायुपुराण]]' और '[[विष्णुपुराण]]' में भी कई नरक कुंडों के नाम लिखे हैं, जैसे- 'वसाकुंड', 'तप्तकुंड', 'सर्पकुंड' और 'चक्रकुंड' आदि। इन नरक कुंडों की संख्या 86 है। इनमें से सात नरक [[पृथ्वी]] के नीचे हैं और बाकी लोक के परे माने गए हैं। उनके नाम हैं- 'रौरव', 'शीतस्तप', 'कालसूत्र', 'अप्रतिष्ठ', 'अवीचि', 'लोकपृष्ठ' और 'अविधेय' हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/religion-hindu/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%95-1120915028_1.htm|title=कितने और कहाँ होते हैं नरक|accessmonthday=29 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>

11:27, 23 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

तप्तसूर्मि पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक 'नरक' का नाम है, जहाँ अगम्या स्त्री के साथ सम्भोग करने वाले पुरुष और अगम्य पुरुष के साथ सम्भोग करने वाली स्त्रियों को भेजा जाता है। यहाँ पर तप्त लोहे के खम्बे का आलिंगन कराया जाता है।[1]

  • नरक वह स्थान है, जहाँ पापियों की आत्मा दंड भोगने के लिए भेजी जाती है। दंड के बाद कर्मानुसार उनका दूसरी योनियों में जन्म होता है।
  • स्वर्ग धरती के ऊपर है तो नरक धरती के नीचे। सभी नरक धरती के नीचे यानी पाताल भूमि में हैं।
  • 'तप्तसूर्मि' नरक में उस व्यक्ति को भी भेजा जाता है, जो जबरन किसी स्त्री से समागम करता है, उसे नरक में कोड़े से पीटकर लोहे की तप्त खंभों से आलिंगन करवाया जाता है।
  • 'श्रीमद्भागवत' और 'मनुस्मृति' के अनुसार नरकों के नाम इस प्रकार हैं-
नरक के नाम
क्रम संख्या नाम क्रम संख्या नाम
1. तामिस्र 2. अन्धतामिस्र
3. रौरव 4. महारौरव
5. कुम्भी पाक 6. कालसूत्र
7. असिपत्रवन 8. सूकर मुख
9. अन्ध कूप 10. कृमि भोजन
11. सन्दंश 12. तप्तसूर्मि
13. वज्रकंटक शाल्मली 14. वैतरणी
15. पूयोद 16. प्राण रोध
17. विशसन 18. लालाभक्ष
19. सारमेयादन 20. अवीचि
21. अयःपान 22. क्षारकर्दम
23. रक्षोगणभोजन 24. शूलप्रोत
25. द्वन्दशूक 26. अवटनिरोधन
27. पर्यावर्तन 28. सूची मुख


उपरोक्त 28 तरह के नरक माने गए हैं, जो सभी धरती पर ही बताए जाते हैं। इनके अतिरिक्त 'वायुपुराण' और 'विष्णुपुराण' में भी कई नरक कुंडों के नाम लिखे हैं, जैसे- 'वसाकुंड', 'तप्तकुंड', 'सर्पकुंड' और 'चक्रकुंड' आदि। इन नरक कुंडों की संख्या 86 है। इनमें से सात नरक पृथ्वी के नीचे हैं और बाकी लोक के परे माने गए हैं। उनके नाम हैं- 'रौरव', 'शीतस्तप', 'कालसूत्र', 'अप्रतिष्ठ', 'अवीचि', 'लोकपृष्ठ' और 'अविधेय' हैं।[2]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संपादन: राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या: 194 |
  2. कितने और कहाँ होते हैं नरक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 29 जुलाई, 2013।

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