अगस्त्यवट

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अगस्त्यवट का उल्लेख महाभारत आदि पर्व[1] में इस प्रकार है-

'अगस्त्यवटमासाद्य वशिष्ठस्य च पर्वतं, भृगुतुंगे च कौंतेय: कृतवाञ्छौचमात्मन:'।
'प्रययौ हिमवत्पार्श्व ततो वज्रधरात्मज:।'[2]


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