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'''अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: International Youth Day) (IYD) [[12 अगस्त]] को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। पहली बार सन [[2000]] में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मतलब है कि सरकार युवा के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् [[1985]] ई. को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया।
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'''अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: ''International Youth Day'' or ''IYD'') '[[12 अगस्त]]' को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। किसी भी देश का युवा उस देश के विकास का सशक्त आधार होता है, लेकिन जब यही युवा अपने सामाजिक और राजनैतिक जिम्मेदारियों को भूलकर विलासिता के कार्यों में अपना समय नष्ट करता है, तब देश बर्बादी की ओर अग्रसर होने लगता है। पहली बार सन [[2000]] में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मतलब है कि सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। [[संयुक्त राष्ट्र|संयुक्त राष्ट्र संघ]] के निर्णयानुसार सन [[1985]] ई. को अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया।
==भव्य आयोजन==
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==युवाओं का प्रवासन==
धन्य जोन पौल द्वितीय के आह्वान पर [[31 मार्च]] सन् [[1985]] में पहली बार अंतराष्ट्रीय विश्व दिवस का भव्य आयोजन रोम के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में किया गया था। तब से प्रत्येक दो या तीन वर्ष के अंतराल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व युवा दिवस या वर्ल्ड यूथ डे (WYD) का आयोजन होता रहा है। विश्व युवा दिवस के प्रति पूरी दुनिया के लोगों ने जिस तरह का उत्साह दिखाया है वह अद्वितीय है। विश्व के अनेक यूरोपीय देशों के अलावे सन् 1995 ईस्वी में एशिया में फिलीपींस की राजधानी मनीला में युवाओं ने जिस तरह से इस आयोजन की ज़िम्मेदारी निभायी वह निश्चय ही तारीफ़-ए-काबिल है।
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आज विश्वभर में अधिकतर युवा बिलासिता और सुख-सुविधा को देखते हुए अपनी देश की जमीन को छोड़कर दूसरी जगह जा रहे हैं, जिससे राष्ट्र निर्माण में दिक्कतें आ रही हैं। युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं और विशेषकर [[भारत]] जैसे महान् राष्ट्र की [[ऊर्जा]] तो युवाओं में ही निहित है। ऐसे में अगर युवाओं का भारी संख्या में प्रवासन होता है तो इससे न केवल उस राष्ट्र की अक्षमता प्रदर्शित होती है, जो अपने नौजवानों को प्रयाप्त साधन नहीं दे सकता बल्कि इससे देश की विकास का सशक्त आधार भी समाप्त हो जाता है।<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2013/08/12/international-youth-day-in-hindi/ |title=अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस:एक पैगाम युवाओं के नाम|accessmonthday= 12 अगस्त|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language= हिन्दी}}</ref>
प्रत्येक समारोह में [[ईसाई|ईसाइयों]] के महाधर्मगुरु संत पापा की पावन उपस्थिति और उनके जीवनोपयोगी वचनों से विश्व भर के युवाओं को अपार खुशी और एक अर्थपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त हुई है। विगत् विश्व युवा दिवस की तरह [[भारत]] के युवाओं में भी इस समारोह को लेकर भारी उत्साह देखा गया है। वैसे विश्व युवा दिवस के समारोहों का आधार काथलिक विश्वास है पर हज़ारों की संख्या में ग़ैरकाथलिक और भी इस समारोह में हिस्सा लेकर लाभान्वित होते रहे हैं।<ref name="vatikan radio"/>
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==मानव विकास गति==
==इतिहास==
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[[चित्र:International-Youth-Day-2013.jpg|thumb|250px|left|अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस]]
विश्व युवा दिवस काथलिक युवाओं का एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है जो धन्य जोन पौल द्वितीय के पहल और आह्वान पर सन् 1985 ईस्वी में हुआ। इसी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व युवा वर्ष भी घोषित किया था। संत पापा जोन पौल ने इस अवसर को ही और ही अर्थपूर्ण बनाते हुए युवाओं के लिये एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की जिसका विश्व में युवा जगत् पर व्यापक प्रभाव होता रहेगा। विश्व युवा दिवस का आरंभ करने के पीछे जिस व्यक्तिगत प्रेरितिक अनुभव को जोड़ा जाता है वह सन् [[1960]] के दशक में संत पापा जोन पौल द्वितीय एक नवजवान पुरोहित के रूप में युवाओं के साथ कार्य करना। एक [[पुरोहित]] के रूप में जोन पौल द्वितीय (तब फादर करोल वोयतिवा) ने कराकोव के संत फ्लोरियन चर्च में रहकर विश्वविद्यालय में युवाओं का एक दल बनाया था जिसे पोलिस भाषा में ‘स्रोदोविस्को’ कहा था जिसको [[अंग्रेज़ी]] में सटीक अनुवाद तो नहीं किया जा सकता पर इसे ‘एनवायरनमेंट’ या ‘वातावरण’ के रूप में समझा जा सकता है। हालाँकि धन्य जोन पौल इसे ‘मिल्यु’ अर्थात् ‘परिवेश’ के रूप में समझा जा सकता है। ‘स्रोदोवस्को’ नामक इस दल में करीब 200 युवा शामिल होते थे जो अपने विचारों का आदान-प्रदान करते थे और यही स्वाभिव्यक्ति बाद में उन्हें आपसी समझदारी जीवन के मूल्यों को समझने में मदद देने लगा था। यह मित्रता का एक ऐसा केन्द्र था जहाँ इसके प्रतिभागी तो लाभान्वित हुए ही फादर करोल वोयतिवा ने भी अपने विचारों और सोचने के तौर-तरीकों में परिपक्वता प्राप्त की जिसका उपयोग उन्होंने एक पुरोहित धर्माध्यक्ष कार्डिनल और फिर ईसाइयों के धर्मगुरु ने किया।<ref name="vatikan radio"/>
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वर्तमान सदी में युवा वर्ग मानव सभ्यता के ऐसे मुकाम पर खड़ा है, जब "मानव विकास गति" का रथ जेट विमान की [[गति]] से भाग रहा है। यह तीव्र विकास गति जहाँ अनेकों उपलब्धियां-सुविधाएँ और चमत्कार लेकर आ रही है, वहीँ युवा वर्ग के लिए तीव्र गति से भागने की क्षमता पा लेने की चुनौती भी। क्योंकि यदि युवा वर्ग इतना क्षमतावान है की वह तेज़ीसे हो रहे परिवर्तन को समझ सके, उसे अपना सके, नयी खोजों, नयी तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर अपनी कार्यशैली परिवर्तित कर सके, तो ही वह अपने जीवन को सम्मानजनक एवं सुविधा संपन्न बना सकता है, और विश्व स्तर पर अपने अस्तित्व को बनाये रख सकता है। प्रतिस्पर्द्धा की कड़ी चुनौतियों को स्वीकार करना ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। आज के युवा वर्ग को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्द्धा में शामिल होना आवश्यक हो गया है।<ref name="a">{{cite web |url=http://satyasheelagrawal.jagranjunction.com/2013/08/05/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8/ |title=अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस (12 अगस्त) के अवसर पर|accessmonthday= 12 अगस्त|accessyear=2016 |last=अग्रवाल |first=सत्य शील|authorlink= |format= |publisher=jagranjunction.com |language= हिंदी}}</ref>
==कैसे मनाएँ==
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==भारत 'युवाओं का देश'==
परंपरागत रूप से विश्व युवा दिवस युवाओं का एक अंतराष्ट्रीय महासम्मेलन है पर इसमें जिस बात पर बल दिया जाता है वह है – ‘अनेकता में एकता’। एक ओर इसमें विभिन्न [[रंग|रंगों]] के झंडों, परिधानों, संगीतों व कलाओं के साथ युवा इस बात को दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे अलग पहचान लिये सम्मेलन में उपस्थित हैं तो दूसरी ओर एक साथ विभिन्न कार्यक्रमों जैसे प्रार्थना, चिंतन, संत पापा के साथ पैदल चलने और यूखरिस्तीय समारोह में भाग लेने के द्वारा इस बात का प्रदर्शन करते हैं कि वे एक हैं। अब तक (2013 तक) बारह अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस सम्पन्न हो चुके हैं। [[रोम]] में सन् [[1985]] में इसके सफल आयोजन के बाद अर्जेन्टिना के व्योनेस आयरेस सन् [[1987]] में स्पेन के सान्तियागो दे कोमपोस्तेला मे सन् 1989 में, पोलैंड के चेस्तोकोवा में सन् 1991 में इसका आयोजन किया था। सन् 1993 में अमेरिका के डेनवेर में 1995 में फिलीपींस के मनीला में जहाँ पाँच लाख युवाओं ने भाग लिया था जो संख्या के हिसाब से युवाओं के सबसे बड़ा सम्मेलन था। सन् [[1997]] में फ्रांस के पेरिस में, सन् 2000 में पुनः रोम में, सन् 2002 में कनाडा के टोरोन्टो में सन् 2005 में जर्मनी के कोलोन में इसका आयोजन किया था जिसमें पहली बार संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें उपस्थित हुए थे।<ref name="vatikan radio">{{cite web |url=http://hi.radiovaticana.va/news/2011/08/09/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8_%E2%80%93_%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF/in1-511328 |title=विश्व युवा दिवस – एक परिचय  |accessmonthday=9 अगस्त |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वाटिकन रेडियो |language=हिंदी }}</ref>
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पूरे विश्व में [[भारत]] को युवाओं का देश कहा जाता है। अपने देश में 35 [[वर्ष]] की आयु तक के 65 करोड़ युवा हैं। अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की, उनमे अच्छे [[संस्कार]], उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनाने की, उन्हें बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से बचाने की। क्योंकि चरित्र निर्माण ही देश की, समाज की, उन्नति के लिए परम आवश्यक है। दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का। देश के निर्माण के लिए, देश की उन्नति के लिए, देश को विश्व के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करने के लिए युवा वर्ग को ही मेधावी, श्रमशील, देश भक्त और समाज सेवा की भावना से ओत प्रोत होना होगा।
 
 
  
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आज के युवा वर्ग को अपने विद्यार्थी जीवन में अध्ययनशील, संयमी, चरित्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन लाकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास करने चाहिए। जिसके लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है। विद्यालय को मस्ती की पाठशाला समझ कर समय गंवाने वाले युवा स्वयं अपने साथ अन्याय करते हैं, जिसकी भारी कीमत जीवन भर चुकानी पड़ती है। बिना शिक्षा के कोई भी युवा अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम रहता है। चाहे उसके पास अपने पूर्वजों का बना बनाया, स्थापित कारोबार ही क्यों न हो। या वह किसी राजनयिक या प्रशासनिक अधिकारी की संतान ही क्यों न हो। इसी प्रकार बिना शिक्षा के जीवन में कोई भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता। यदि कोई युवा अपने विद्यार्थी जीवन के समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो मनोरंजन, मस्ती और ऐश के लिए पूरे जीवन में भरपूर अवसर मिलते हैं। वर्तमान समय में युवा विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, अर्थात् प्रोद्यौगिकी से सम्बंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। जो देश की उन्नति में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार की असीम संभावनाएं दिलाती है।
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[[चित्र:IYD Poster.JPG|thumb|left|250px|अंतराष्ट्रीय युवा दिवस पोस्टर]]
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==भारत की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था==
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[[भारत]] में प्राथमिक शिक्षा जो विद्यार्थी जीवन की नींव होती है, कुछ निजी स्कूलों को छोड़ कर बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करने में असफल हैं। शिक्षा में गुणात्मकता के अभाव होने के कारण बच्चे सिर्फ परीक्षा पास करने की विधा सीखने तक सीमित रह जाते हैं, जिसका मुख्य कारण है शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करने में विद्वान् और मेधावी युवाओं की अरुचि। शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षाकृत मध्यम श्रेणी की योग्यता वाले युवा इसे अपना कार्यक्षेत्र बनाते हैं। जब शिक्षक ही अधूरे ज्ञान के साथ पढ़ाने के लिए आते है, तो उनके विद्यार्थी कितने मेधावी एवं योग्य नागरिक बन सकते हैं। ऐसे शिक्षक कैसे विद्यार्थी में शिक्षा के प्रति रूचि विकसित कर सकते हैं। बिना रूचि जगाये किसी भी बच्चे को योग्य नागरिक नहीं बनाया जा सकता, उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के योग्य नहीं बनाया जा सकता। परिणाम सवरूप नब्बे प्रतिशत छात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त कर आगे की शिक्षा से मुंह मोड़ लेते हैं या कुछ बेमन से सिर्फ डिग्री प्राप्त करने के लिए आगे पढ़ते हैं।<ref name="a"/>
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==योग्य शिक्षक का महत्त्व==
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यदि शिक्षकों को उत्तम सेवा शर्तों और उच्च वेतनमान की व्यवस्था की जाय तो मेधावी युवक भी शिक्षा के क्षेत्र में पदार्पण कर सकते हैं, जो देश को उच्च श्रेणी के नागरिक उपलब्ध करने में सफल होंगे। दूसरी मुख्य बात यह है, किसी भी शिक्षक की योग्यता का मापदंड उसकी कक्षा में सफल विद्यार्थियों के प्रतिशत से आंकलन न कर विद्यार्थियों के योग्यता के स्तर से होनी चाहिए। विभिन्न स्कूलों में प्रतियोगिता आयोजित कर विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान और बौद्धिक स्तर का परिक्षण करते रहना चाहिए, जो शिक्षक की योग्यता का निर्धारण भी करे। यदि देश की शिक्षा संथाओं को योग्य शिक्षक, रोजगार परक पाठ्यक्रम, सभी प्रकार से सुविधा संपन्न प्रयोगशालाएं उपलब्ध करायी जाएँ तो अवश्य ही युवा वर्ग को मेधावी एवं सफल नागरिक के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो देश के विकास में अपने योगदान के साथ-साथ अपना जीवन स्तर भी विश्व के विकसित देशों के समकक्ष कर सकेंगे। अतः अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर देश के कर्णधारों को युवाओं के उचित विकास एवं दिशा निर्देश उपलब्ध करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिये। जब देश के युवाओं का भविष्य संवरेगा तो समाज का, देश का और नेताओं का भविष्य भी उज्ज्वल बनेगा।
  
 
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*[http://undesadspd.org/Youth/InternationalYouthDay/2013.aspx International Youth Day, 12 August 2013]
 
*[http://undesadspd.org/Youth/InternationalYouthDay/2013.aspx International Youth Day, 12 August 2013]
 
*[http://hi.radiovaticana.va/news/2011/08/23/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8_%E2%80%93_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%82_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0/in1-514856 विश्व युवा दिवस – संत पापा के संदशों का सार ]
 
*[http://hi.radiovaticana.va/news/2011/08/23/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8_%E2%80%93_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%82_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0/in1-514856 विश्व युवा दिवस – संत पापा के संदशों का सार ]
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*[http://12iydcelebration.weebly.com/index.html 12th International Youth Day]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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08:20, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस
अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस वर्ष 2013 का प्रतीक चिह्न
विवरण 'अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस' प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का अर्थ है कि "सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे।"
तिथि 12 अगस्त
शुरुआत सन 2000 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया था।
विशेष संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन 1985 ई. को अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया।
संबंधित लेख राष्ट्रीय युवा दिवस, विश्व युवा दिवस
अन्य जानकारी पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। यहाँ 35 वर्ष की आयु तक के 65 करोड़ युवा हैं। अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस (अंग्रेज़ी: International Youth Day or IYD) '12 अगस्त' को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। किसी भी देश का युवा उस देश के विकास का सशक्त आधार होता है, लेकिन जब यही युवा अपने सामाजिक और राजनैतिक जिम्मेदारियों को भूलकर विलासिता के कार्यों में अपना समय नष्ट करता है, तब देश बर्बादी की ओर अग्रसर होने लगता है। पहली बार सन 2000 में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मतलब है कि सरकार युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन 1985 ई. को अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया।

युवाओं का प्रवासन

आज विश्वभर में अधिकतर युवा बिलासिता और सुख-सुविधा को देखते हुए अपनी देश की जमीन को छोड़कर दूसरी जगह जा रहे हैं, जिससे राष्ट्र निर्माण में दिक्कतें आ रही हैं। युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं और विशेषकर भारत जैसे महान् राष्ट्र की ऊर्जा तो युवाओं में ही निहित है। ऐसे में अगर युवाओं का भारी संख्या में प्रवासन होता है तो इससे न केवल उस राष्ट्र की अक्षमता प्रदर्शित होती है, जो अपने नौजवानों को प्रयाप्त साधन नहीं दे सकता बल्कि इससे देश की विकास का सशक्त आधार भी समाप्त हो जाता है।[1]

मानव विकास गति

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस

वर्तमान सदी में युवा वर्ग मानव सभ्यता के ऐसे मुकाम पर खड़ा है, जब "मानव विकास गति" का रथ जेट विमान की गति से भाग रहा है। यह तीव्र विकास गति जहाँ अनेकों उपलब्धियां-सुविधाएँ और चमत्कार लेकर आ रही है, वहीँ युवा वर्ग के लिए तीव्र गति से भागने की क्षमता पा लेने की चुनौती भी। क्योंकि यदि युवा वर्ग इतना क्षमतावान है की वह तेज़ीसे हो रहे परिवर्तन को समझ सके, उसे अपना सके, नयी खोजों, नयी तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर अपनी कार्यशैली परिवर्तित कर सके, तो ही वह अपने जीवन को सम्मानजनक एवं सुविधा संपन्न बना सकता है, और विश्व स्तर पर अपने अस्तित्व को बनाये रख सकता है। प्रतिस्पर्द्धा की कड़ी चुनौतियों को स्वीकार करना ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। आज के युवा वर्ग को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्द्धा में शामिल होना आवश्यक हो गया है।[2]

भारत 'युवाओं का देश'

पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। अपने देश में 35 वर्ष की आयु तक के 65 करोड़ युवा हैं। अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की, उनमे अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनाने की, उन्हें बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से बचाने की। क्योंकि चरित्र निर्माण ही देश की, समाज की, उन्नति के लिए परम आवश्यक है। दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का। देश के निर्माण के लिए, देश की उन्नति के लिए, देश को विश्व के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करने के लिए युवा वर्ग को ही मेधावी, श्रमशील, देश भक्त और समाज सेवा की भावना से ओत प्रोत होना होगा।

आज के युवा वर्ग को अपने विद्यार्थी जीवन में अध्ययनशील, संयमी, चरित्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन लाकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास करने चाहिए। जिसके लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है। विद्यालय को मस्ती की पाठशाला समझ कर समय गंवाने वाले युवा स्वयं अपने साथ अन्याय करते हैं, जिसकी भारी कीमत जीवन भर चुकानी पड़ती है। बिना शिक्षा के कोई भी युवा अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम रहता है। चाहे उसके पास अपने पूर्वजों का बना बनाया, स्थापित कारोबार ही क्यों न हो। या वह किसी राजनयिक या प्रशासनिक अधिकारी की संतान ही क्यों न हो। इसी प्रकार बिना शिक्षा के जीवन में कोई भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता। यदि कोई युवा अपने विद्यार्थी जीवन के समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो मनोरंजन, मस्ती और ऐश के लिए पूरे जीवन में भरपूर अवसर मिलते हैं। वर्तमान समय में युवा विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, अर्थात् प्रोद्यौगिकी से सम्बंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। जो देश की उन्नति में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार की असीम संभावनाएं दिलाती है।

अंतराष्ट्रीय युवा दिवस पोस्टर

भारत की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था

भारत में प्राथमिक शिक्षा जो विद्यार्थी जीवन की नींव होती है, कुछ निजी स्कूलों को छोड़ कर बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करने में असफल हैं। शिक्षा में गुणात्मकता के अभाव होने के कारण बच्चे सिर्फ परीक्षा पास करने की विधा सीखने तक सीमित रह जाते हैं, जिसका मुख्य कारण है शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करने में विद्वान् और मेधावी युवाओं की अरुचि। शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षाकृत मध्यम श्रेणी की योग्यता वाले युवा इसे अपना कार्यक्षेत्र बनाते हैं। जब शिक्षक ही अधूरे ज्ञान के साथ पढ़ाने के लिए आते है, तो उनके विद्यार्थी कितने मेधावी एवं योग्य नागरिक बन सकते हैं। ऐसे शिक्षक कैसे विद्यार्थी में शिक्षा के प्रति रूचि विकसित कर सकते हैं। बिना रूचि जगाये किसी भी बच्चे को योग्य नागरिक नहीं बनाया जा सकता, उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के योग्य नहीं बनाया जा सकता। परिणाम सवरूप नब्बे प्रतिशत छात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त कर आगे की शिक्षा से मुंह मोड़ लेते हैं या कुछ बेमन से सिर्फ डिग्री प्राप्त करने के लिए आगे पढ़ते हैं।[2]

योग्य शिक्षक का महत्त्व

यदि शिक्षकों को उत्तम सेवा शर्तों और उच्च वेतनमान की व्यवस्था की जाय तो मेधावी युवक भी शिक्षा के क्षेत्र में पदार्पण कर सकते हैं, जो देश को उच्च श्रेणी के नागरिक उपलब्ध करने में सफल होंगे। दूसरी मुख्य बात यह है, किसी भी शिक्षक की योग्यता का मापदंड उसकी कक्षा में सफल विद्यार्थियों के प्रतिशत से आंकलन न कर विद्यार्थियों के योग्यता के स्तर से होनी चाहिए। विभिन्न स्कूलों में प्रतियोगिता आयोजित कर विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान और बौद्धिक स्तर का परिक्षण करते रहना चाहिए, जो शिक्षक की योग्यता का निर्धारण भी करे। यदि देश की शिक्षा संथाओं को योग्य शिक्षक, रोजगार परक पाठ्यक्रम, सभी प्रकार से सुविधा संपन्न प्रयोगशालाएं उपलब्ध करायी जाएँ तो अवश्य ही युवा वर्ग को मेधावी एवं सफल नागरिक के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो देश के विकास में अपने योगदान के साथ-साथ अपना जीवन स्तर भी विश्व के विकसित देशों के समकक्ष कर सकेंगे। अतः अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर देश के कर्णधारों को युवाओं के उचित विकास एवं दिशा निर्देश उपलब्ध करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिये। जब देश के युवाओं का भविष्य संवरेगा तो समाज का, देश का और नेताओं का भविष्य भी उज्ज्वल बनेगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस:एक पैगाम युवाओं के नाम (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 12 अगस्त, 2016।
  2. 2.0 2.1 अग्रवाल, सत्य शील। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस (12 अगस्त) के अवसर पर (हिंदी) jagranjunction.com। अभिगमन तिथि: 12 अगस्त, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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