अनुपम मिश्र

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अनुपम मिश्र
अनुपम मिश्र
पूरा नाम अनुपम मिश्र
जन्म 1948
जन्म भूमि वर्धा, महाराष्ट्र
मृत्यु 19 दिसम्बर, 2016
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
मृत्यु कारण प्रोस्टेट कैंसर
अभिभावक पिता- भवानी प्रसाद मिश्र और माता- सरला मिश्र
नागरिकता भारतीय
भाषा संस्कृत
विद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय
शिक्षा स्नातकोत्तर
अन्य जानकारी अनुपम मिश्रा को उनके द्वारा लिखी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' के लिए 2011 देश के प्रतिष्ठित 'जमनालाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। अनुपम मिश्र ने इस किताब को शुरू से ही कॉपीराइट से मुक्त रखा है।

अनुपम मिश्र (अंग्रेज़ी: Anupam Mishra, जन्म: 1948, महाराष्ट्र; मृत्यु: 19 दिसम्बर, 2016, नई दिल्ली) जाने माने लेखक, संपादक, छायाकार और गाँधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण के लिए वह तब से काम कर रहे थे, जब से देश में पर्यावरण का कोई विभाग नहीं खुला था। बगैर बजट के मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभव नहीं था। उनकी कोशिश से सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ जिसे दुनिया ने देखा और सराहा।

परिचय

अनुपम मिश्र का जन्म महाराष्ट्र के वर्धा में सरला मिश्र और प्रसिद्ध हिन्दी कवि भवानी प्रसाद मिश्र के यहाँ सन 1948 में हुआ। मिश्र के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, बड़े भाई और दो बहनें हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 1969 में संस्कृत से स्नातकोत्तर किया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो दिल्ली स्थित गाँधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़ गए। इस ज़माने में भी बग़ैर मोबाइल, बग़ैर टीवी, बग़ैर वाहन के वो रहते थे। वे सिर्फ दो जोड़ी कुर्ते-पायजामे और झोले वाले इंसानों में से एक माने जाते थे। सरल, सपाट टायर से बनी चप्पल पहनने वाले अनुपम एक दम शांत स्वभाव के थे। अनुपम मिश्र का अपना कोई घर नहीं था। वह गाँधी शांति फाउंडेशन के परिसर में ही रहते थे।

कार्यक्षेत्र

अनुपम मिश्र जाने माने गाँधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण के लिए वह तब से काम कर रहे थे, जब से देश में पर्यावरण का कोई विभाग नहीं खुला था। बगैर बजट के मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभव नहीं हो पाया। गाँधी शांति प्रतिष्ठान में उन्होंने पर्यावरण कक्ष की स्थापना की। वे इस प्रतिष्ठान की पत्रिका 'गाँधी मार्ग' के संस्थापक और संपादक भी है। उन्होंने बाढ़ के पानी के प्रबंधन और तालाबों द्वारा उसके संरक्षण की युक्ति के विकास का महत्वपूर्ण काम किया है। वे 2001 में दिल्ली में स्थापित सेंटर फार एनवायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। चंडी प्रसाद भट्ट के साथ काम करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के चिपको आंदोलन में जंगलों को बचाने के लिये सहयोग किया था। वह जल-संरक्षक राजेन्द्र सिंह की संस्था तरुण भारत संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे।

जल संरक्षण के लिए लड़ी लड़ाई

मिश्र ने अपना पूरा जीवन जल संरक्षण की लड़ाई में लगा दिया था। वो अंतिम समय तक इसके लिए लड़ते रहे। उन्होंने समाज को कुदरत की कीमत समझाने के लिए देश भर के कई गांवों का दौरा किया और रेन वाटर हारवेस्टिंग के गुर सिखाए। ऐसा माना जाता हैं की जब देश में पर्यावरण रक्षा का कोई विभाग नहीं खुला था। उन्हीं के अथक प्रयास के कारण ही सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ था। उन्होंने उत्तराखण्ड और राजस्थान के लापोड़िया में परंपरागत जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में काफी काम किया था।

लेखक

अनुपम मिश्र एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनके द्वारा लिखी किताब 'तालाब राजस्थान की रजत बूंदें' जल संरक्षण की दुनिया में मील के पत्थर की तरह साबित हुई। उनकी किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’ की 13 भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। वो गाँधी शांति प्रतिष्ठान से निकलने वाली द्विमासिक पत्रिका गाँधी मार्ग का संपादन करते थे। उनके द्वारा लिखी गई एक अन्य किताब 'हमारा पर्यावरण' भारत में पर्यावरण के ऊपर लिखी गई एकमात्र किताब है। वह जयप्रकाश नारायण के भी करीबी मित्र थे। गाँधी शांति प्रतिष्ठान में उन्होंने अलग से एक पर्यावरण कक्ष की भी स्थापना की।[1]

पुरस्कार

अनुपम मिश्र एक दम शांत स्वभाव के क्यक्ति थे। उनको मिले पुरस्कार इस प्रकार है-

  • 2007-2008 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'चंद्रशेखर आज़ाद राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • 2011 में देश के प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 1996 में देश के सर्वोच्च 'इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है।

निधन

अनुपम मिश्र बीते एक बरस से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे जिस कारण उनका निधन 19 दिसम्बर, 2016 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया। वो 68 बरस के थे।

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  1. अनुपम मिश्र (हिंदी) samwad24.com। अभिगमन तिथि: 1 अगस्त, 2017।