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केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग द्वारा देश भर में [[24 फ़रवरी]] को 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जाता है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस मनाने का लक्ष्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है। यह दिवस 24 फ़रवरी, [[1944]] को केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा नमक क़ानून लागू किए जाने के उपलक्ष में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
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देश के औद्योगिक विकास में केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस विभाग ने करों का भुगतान आसान करने के लिए कर प्रणाली में सुधार किया और तकनीकों के प्रयोग बढ़ाया। केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस के अवसर पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री [[पी. चिदम्बरम]] ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए काम करें, जिसमें करदाताओं को अधिक से अधिक सुविधा हो और कर तथा शुल्क एकत्र करने की वैधानिक जरूरतों से समझौता भी न करना पड़े; साथ ही करदाताओं से कहा कि वे अपने कर स्वैच्छा से समय पर और पूरी तरह से अदा करें।
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#केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 1855 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित भारत के सबसे पुराने विभाग में से एक है।
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#केंन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 वर्ष 1996 से पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम, 1944 के रूप में जाना जाता था।
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#वर्तमान में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के 23 जोन, 100 आयुक्तालय, 460 प्रभाग टैक्स संग्रह और भारत भर में कानून प्रवर्तन गतिविधियों के लिए 2614 रेंज है।
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#सर्विस टैक्स के मामलों में गिरफ्तारी के लिए 2013 में कानून बनाया गया है। जबकि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों को गिरफ्तारी के लिए पावर केंद्रीय सरकार द्वारा 1973 में दिया गया था।
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#सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट को सरकारी ऐजेंसियों बीएसएफ, ईडी, एनसीबी, इनकम टैक्स, आईटीबीपी, के मुकाबले सबसे अधिक बार सर्वश्रेष्ठ एंटी स्मगलिंग ऐजेसी का अवॉर्ड मिल चुका है।  
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#सेंट्रल एक्साइज की इंटैलीजेंस एजेंसी डीजीसीईआई की स्थापना 1979 में हुई थी। साल 2000 तक ऐजेंसी डाईरेक्टोरेट जनरल ऑफ एटीविजन के नाम से जानी जाती थी। सिर्फ 300 सौ अधिकारियों के साथ डीजीसीईआई ने रेवेन्यू चोरी के अन्य ऐंजेन्सियों के मुकाबले सबसे अधिक मामलों का पता लगाया।<ref>{{cite web |url= http://revenuenews.in/index.php?option=com_content&task=view&id=558&Itemid=19|title= सादगी और गरिमापूर्वक मनाया गया केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस एवं अलंकरण समारोह|accessmonthday= 24 फरवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= रेवेन्यू न्यूज|language=हिन्दी }}</ref>
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'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण' (ट्राई) ने प्री-पेड उपभोक्ताओं के मोबाइल कनेक्शन से सम्बंधित नए नियामक दिशा-निर्देश [[24 फ़रवरी]], 2013 को ही जारी किए थे। ट्राई द्वारा जारी नियामक दिशा-निर्देश के मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे-
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10:41, 24 फ़रवरी 2015 का अवतरण

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस प्रत्येक वर्ष '24 फ़रवरी' को मनाया जाता है। आज ही के दिन वर्ष 1944 में केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा नमक क़ानून बनाया गया था।

उद्देश्य

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग द्वारा देश भर में 24 फ़रवरी को 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जाता है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस मनाने का लक्ष्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है। यह दिवस 24 फ़रवरी, 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा नमक क़ानून लागू किए जाने के उपलक्ष में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

औद्योगिक विकास में भूमिका

देश के औद्योगिक विकास में केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस विभाग ने करों का भुगतान आसान करने के लिए कर प्रणाली में सुधार किया और तकनीकों के प्रयोग बढ़ाया। केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस के अवसर पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए काम करें, जिसमें करदाताओं को अधिक से अधिक सुविधा हो और कर तथा शुल्क एकत्र करने की वैधानिक जरूरतों से समझौता भी न करना पड़े; साथ ही करदाताओं से कहा कि वे अपने कर स्वैच्छा से समय पर और पूरी तरह से अदा करें।

विशेष जानकारी

  1. केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 1855 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित भारत के सबसे पुराने विभाग में से एक है।
  2. केंन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 वर्ष 1996 से पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम, 1944 के रूप में जाना जाता था।
  3. वर्तमान में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के 23 जोन, 100 आयुक्तालय, 460 प्रभाग टैक्स संग्रह और भारत भर में कानून प्रवर्तन गतिविधियों के लिए 2614 रेंज है।
  4. सर्विस टैक्स के मामलों में गिरफ्तारी के लिए 2013 में कानून बनाया गया है। जबकि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों को गिरफ्तारी के लिए पावर केंद्रीय सरकार द्वारा 1973 में दिया गया था।
  5. सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट को सरकारी ऐजेंसियों बीएसएफ, ईडी, एनसीबी, इनकम टैक्स, आईटीबीपी, के मुकाबले सबसे अधिक बार सर्वश्रेष्ठ एंटी स्मगलिंग ऐजेसी का अवॉर्ड मिल चुका है।  
  6. सेंट्रल एक्साइज की इंटैलीजेंस एजेंसी डीजीसीईआई की स्थापना 1979 में हुई थी। साल 2000 तक ऐजेंसी डाईरेक्टोरेट जनरल ऑफ एटीविजन के नाम से जानी जाती थी। सिर्फ 300 सौ अधिकारियों के साथ डीजीसीईआई ने रेवेन्यू चोरी के अन्य ऐंजेन्सियों के मुकाबले सबसे अधिक मामलों का पता लगाया।[1]
  7. वर्तमान समय में 11,210 सुप्रिडेंट, और 14,704 इंस्पैक्टर सीबीईसी में तैनात है।

असम लगातार दो वर्षों तक[2] 50 करोड़ किलोग्राम से अधिक चाय उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य बना था। असम ने वर्ष 2012 में 58 करोड़ 80 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन किया था, जो देश के कुल चाय उत्पादन का 53 प्रतिशत था। असम ने वर्ष 2011 में 58 करोड़ 90 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन किया था। नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन ने यह रिपोर्ट फ़रवरी, 2013 में जारी की थी। नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन चाय बागान मालिकों की एक प्रमुख संस्था है। नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन के अनुसार वर्ष 2011में असम में चाय के क्षेत्र में सात हज़ार पांच सौ करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार हुआ। इस उद्योग में 7 लाख मजदूर काम कर रहे हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत महिलाएं हैं।

'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण' (ट्राई) ने प्री-पेड उपभोक्ताओं के मोबाइल कनेक्शन से सम्बंधित नए नियामक दिशा-निर्देश 24 फ़रवरी, 2013 को ही जारी किए थे। ट्राई द्वारा जारी नियामक दिशा-निर्देश के मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे-

  1. प्री-पेड उपभोक्ताओं के ऐसे मोबाइल कनेक्शन बंद नहीं किए जा सकते जिनमें बीस रुपए या उससे अधिक बैलेंस हो।
  2. दूरसंचार ऑपरेटर केवल ऐसे प्री-पेड मोबाइलनम्बर को बंद कर सकेंगे जिसमें बीस रुपए से कम बैलेंस हो और तीन महीने से उस नम्बर का प्रयोग न किया जा रहा हो।
  3. जिस उपभोक्ता का कनेक्शन बंद कर दिया गया है उसे, नम्बर फिर चालू कराने के लिए पंद्रह दिन का समय देने का प्रावधान।


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