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==जन्म तथा शिक्षा==
 
==जन्म तथा शिक्षा==
प्रसिद्ध समाजसेवी गोपाल कृष्ण देवधर का जन्म 21 अगस्त, 1871 ई. को [[महाराष्ट्र]] के [[पुणे]] में चितपावन ब्राह्मण [[परिवार]] में हुआ था। इन्होंने फ़र्ग्युसन कॉलेज, पुणे से [[1897]] में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्हें अच्छी नौकरी मिल सकती थी, परंतु सेवा की भावना के कारण उन्होंने 'आर्यन एजुकेशन सोसाइटी', [[मुम्बई]] में 22 [[रुपया|रुपये]] प्रतिमाह के वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=247|url=}}</ref>
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गोपाल कृष्ण देवधर [[1904]] में [[गाँधीजी]] के राजनीतिक गुरु [[गोपाल कृष्ण गोखले]] के सम्पर्क में आए और [[1905]] में 'भारत सेवक समाज' की स्थापना हुई। गोपाल कृष्ण गोखले के साथ "भारत सेवक समाज" की स्थापना में गोपाल कृष्ण देवधर ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। यह संस्था देश और समाज की सेवा में जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तियों के सपरिवार भरण-पोषण का दायित्व अपने ऊपर लेती रही है।  
 
==सेवा भाव==
 
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राजनीतिक गतिविधियों के प्रति गोपाल कृष्ण देवधर की रुचि नहीं थी। वे सेवा का अवसर जहां भी देखते, वहीं पहुंच जाते। [[1906]] में जब [[पुणे]] में [[प्लेग]] जैसी ख़तरनाक बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया था, तब देवधर जी ने अपनी परवाह किये बिना दिन-रात रोगियों की सेवा की। महिलाओं के उत्थान के लिये 'सेवा-सदन' की स्थापना में उन्होंने रमाबाई रानाडे को पूरा सहयोग दिया। [[1921]] में [[मोपला विद्रोह]] में सताए हुए लोगों की सहायता करने में भी वे आगे रहे।
 
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गोपाल कृष्ण देवधर ने 'आल इंडिया सोशल कांफ्रेंस' के [[1929]] के [[लखनऊ]] और [[1933]] के मद्रास अधिवेशन की अध्यक्षता की। सहकारी आंदोलन के लिये कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से 'बम्बई कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट' की स्थापना उन्होंने की थी। [[महात्मा गाँधी]] की प्रेरणा से स्थापित 'अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ' के वे जीवन पर्यंत प्रादेशिक अध्यक्ष रहे थे।
 
गोपाल कृष्ण देवधर ने 'आल इंडिया सोशल कांफ्रेंस' के [[1929]] के [[लखनऊ]] और [[1933]] के मद्रास अधिवेशन की अध्यक्षता की। सहकारी आंदोलन के लिये कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से 'बम्बई कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट' की स्थापना उन्होंने की थी। [[महात्मा गाँधी]] की प्रेरणा से स्थापित 'अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ' के वे जीवन पर्यंत प्रादेशिक अध्यक्ष रहे थे।
 
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गोपाल कृष्ण देवधर
गोपाल कृष्ण देवधर
पूरा नाम गोपाल कृष्ण देवधर
जन्म 21 अगस्त, 1871
जन्म भूमि पुणे, महाराष्ट्र
मृत्यु 1935
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि सामाजिक कार्यकर्ता
विद्यालय फ़र्ग्युसन कॉलेज, पुणे
शिक्षा स्नातक
विशेष योगदान इनका सबसे बड़ा योगदान है गोपाल कृष्ण गोखले के साथ "भारत सेवक समाज" की स्थापना।
संबंधित लेख महात्मा गाँधी, गोपाल कृष्ण गोखले
अन्य जानकारी आप महात्मा गाँधी की प्रेरणा से स्थापित 'अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ' के जीवन पर्यंत प्रादेशिक अध्यक्ष रहे थे।

गोपाल कृष्ण देवधर (जन्म- 21 अगस्त, 1871, पुणे, महाराष्ट्र; मृत्यु- 1935) भारत के प्रसिद्ध समाज सेवक थे। राजनीतिक गतिविधियों की ओर इनका ध्यान कम था। गोपाल कृष्ण देवधर जहाँ कहीं भी सेवा का कोई अवसर देखते, वहाँ तुरंत पहुँच जाते थे। महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित 'अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ' के प्रादेशिक अध्यक्ष का पद गोपाल कृष्ण जी ने आजीवन सम्भाला था। 'सेवा सदन' की स्थापना में भी उन्होंने रमाबाई रानाडे को अपना पूरा सहयोग दिया था।

जन्म तथा शिक्षा

प्रसिद्ध समाजसेवी गोपाल कृष्ण देवधर का जन्म 21 अगस्त, 1871 ई. को महाराष्ट्र के पुणे में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इन्होंने फ़र्ग्युसन कॉलेज, पुणे से 1897 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्हें अच्छी नौकरी मिल सकती थी, परंतु सेवा की भावना के कारण उन्होंने 'आर्यन एजुकेशन सोसाइटी', मुम्बई में 22 रुपये प्रतिमाह के वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया।[1]

योगदान

गोपाल कृष्ण देवधर 1904 में गाँधीजी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के सम्पर्क में आए और 1905 में 'भारत सेवक समाज' की स्थापना हुई। गोपाल कृष्ण गोखले के साथ "भारत सेवक समाज" की स्थापना में गोपाल कृष्ण देवधर ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। यह संस्था देश और समाज की सेवा में जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तियों के सपरिवार भरण-पोषण का दायित्व अपने ऊपर लेती रही है।

सेवा भाव

राजनीतिक गतिविधियों के प्रति गोपाल कृष्ण देवधर की रुचि नहीं थी। वे सेवा का अवसर जहां भी देखते, वहीं पहुंच जाते। 1906 में जब पुणे में प्लेग जैसी ख़तरनाक बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया था, तब देवधर जी ने अपनी परवाह किये बिना दिन-रात रोगियों की सेवा की। महिलाओं के उत्थान के लिये 'सेवा-सदन' की स्थापना में उन्होंने रमाबाई रानाडे को पूरा सहयोग दिया। 1921 में मोपला विद्रोह में सताए हुए लोगों की सहायता करने में भी वे आगे रहे।

अध्यक्ष

गोपाल कृष्ण देवधर ने 'आल इंडिया सोशल कांफ्रेंस' के 1929 के लखनऊ और 1933 के मद्रास अधिवेशन की अध्यक्षता की। सहकारी आंदोलन के लिये कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से 'बम्बई कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट' की स्थापना उन्होंने की थी। महात्मा गाँधी की प्रेरणा से स्थापित 'अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ' के वे जीवन पर्यंत प्रादेशिक अध्यक्ष रहे थे।

निधन

भारत की इस महन विभूति का निधन 1935 ई. में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 247 |

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