"ग्वारीघाट" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:gwarighat4.JPG|thumb|ग्वारीघाट, [[जबलपुर]]]]
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
'''ग्वारीघाट''' [[जबलपुर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ग्राम है। [[जबलपुर]] के निकट स्थित इस ग्राम के प्राचीन खंडहरों में [[पुरातत्त्व]] की प्रचुर एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री बिखरी पड़ी हैं, जिनको अभी तक प्रकाश में नहीं लाया गया है।
+
|चित्र=gwarighat4.JPG
 
+
|चित्र का नाम=ग्वारीघाट, [[जबलपुर]]
 +
|विवरण=ग्वारीघाट, जबलपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 +
|राज्य= [[मध्य प्रदेश]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[जबलपुर]]
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|कब जाएँ=
 +
|कैसे पहुँचें=
 +
|हवाई अड्डा=डूम्ना (जबलपुर)
 +
|रेलवे स्टेशन=
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=[https://www.google.co.in/maps/place/Gwarighat+%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F/@23.1063997,79.9242382,17z/data=!3m1!4b1!4m5!3m4!1s0x3981ad7898ff11b9:0xd1c92b1fafad941d!8m2!3d23.1063997!4d79.9264269 गूगल मानचित्र]
 +
|संबंधित लेख=[[जबलपुर|जबलपुर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]], [[हनुमान]], [[जबलपुर]]  
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी= ग्वारीघाट पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक [[तीर्थ स्थल]] का रूप ले चुका है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=06:24, 29 अगस्त 2017 (IST)
 +
}}
 +
'''ग्वारीघाट''' [[जबलपुर|जबलपुर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ग्राम है। [[जबलपुर]] के निकट स्थित इस ग्राम के प्राचीन खंडहरों में [[पुरातत्त्व]] की प्रचुर एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री बिखरी पड़ी हैं, जिनको अभी तक प्रकाश में नहीं लाया गया है।
 
*यहाँ पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक [[तीर्थ स्थल]] का रूप ले चुका है।
 
*यहाँ पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक [[तीर्थ स्थल]] का रूप ले चुका है।
 
*इस मंदिर में [[भक्त]] अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए [[हनुमान]] जी को अर्जी लगाते हैं।
 
*इस मंदिर में [[भक्त]] अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए [[हनुमान]] जी को अर्जी लगाते हैं।
 
+
==कैसे पहुँचें ?==
 +
ग्वारीघाट, जबलपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क और नेरोगेज रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ है, मुख्य बस स्टेंड से बस टेक्सी आसानी से उपलब्ध होते हैं। निकट्तम हवाई अड्डा डूम्ना (जबलपुर) है।
 +
==अन्य घाट==
 +
;उमा घाट
 +
ग्वारीघाट से लगा हुआ है उमा घाट। इसका नाम नेत्री सुश्री उमा भारती जी के नाम पर रखा गया है। इसी घाट पर माँ [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] की आरती का आयोजन प्रतिदिन संध्या समय किया जाता है। जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
 +
;जिलहरी घाट
 +
उमा घाट  के बाद जिलहरी घाट आता है।
 +
;दारोगा घाट
 +
ग्वारीघाट के दूसरी ओर है दारोगा घाट। कहा जाता है कि पुराने समय में जब सड़कों का अभाव था तब व्यापारी अपना सामान इस घाट से ही नाव के द्वारा नर्मदा के उस पार ले जाया करते थे, उनसे कर लेने का काम दारोगा के ज़िम्मे होता था। दारोगा इसी घाट पर बैठ कर "कर" वसूलते थे। इसी कारण से इस घाट का नाम दारोगा घाट पड़ा।
 +
; खारी घाट
 +
दारोगा घाट से आगे चलने पर आता है खारी घाट। [[जबलपुर]] की स्थानीय भाषा मे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन को "खारी" कहा जाता है। इस घाट पर लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। इसी कारण से इसे खारी घाट कहा जाता है। घाट पर अति प्राचीन बाल हनुमान जी का मंदिर है। घाट से लगा हुआ है स्वामी गिरिशानंद जी का आश्रम जिसे "साकेत धाम" के नाम से जाना जाता है।
 +
;रामलला मंदिर
 +
ग्वारीघाट मुख्य सड़क पर है रामलला मंदिर, यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।
 +
;गीता धाम
 +
ग्वारीघाट नेरो गेज लाइन से जबलपुर से जुड़ा हुआ है। ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन के पास में ही है गीता धाम मंदिर जिसका निर्माण "महंत श्री रामचंद्र शास्त्री" जी ने करवाया था, अब उनके शिष्य "डॉ. श्यामदास जी महाराज" इस मंदिर के महंत हैं।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==चित्र वीथिका==
 
==चित्र वीथिका==
पंक्ति 16: पंक्ति 68:
 
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=311|url=}}
 
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=311|url=}}
 
<references/>
 
<references/>
==अन्य घाट==
+
==संबंधित लेख==
 
+
{{मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
'''उमा घाट''' - ग्वारिघाट से लगा हुआ है उमा घाट इसका नाम नेत्री सुश्री उमा भारती जी के नाम पर रखा गया है | इसी घाट पर माँ नर्मदा की आरती का आयोजन प्रतिदिन संध्या समय किया जाता है | जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं |
+
[[Category:मध्य प्रदेश]][[Category:मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
+
__INDEX__
'''जिलहरी घाट''' - उमा घाट  के बाद जिलहरी घाट आता है |
+
__NOTOC__
 
 
'''दारोगा घाट''' - ग्वारीघाट के दूसरी ओर है दारोगा घाट, कहा जाता है की पुराने समय में जब सड़कों का अभाव था तब व्यापारी अपना सामान इस घाट से ही नाव के द्वारा नर्मदा के उस पार ले जाया करते थे, उनसे कर लेने का काम दारोगा के ज़िम्मे होता था | दारोगा इसी घाट पर बैठ कर "कर" वसूलते थे | इसी कारण से इस घाट का नाम दारोगा घाट पड़ा | 
 
 
 
'''खारी घाट''' - दारोगा घाट से आगे चलने पर आता है खारी घाट, जबलपुर की स्थानीय भाषा मे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन को "खारी" कहा जाता है, इस घाट पर लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं, इसी कारण से इसे खारी घाट कहा जाता है | घाट पर अति प्राचीन बाल हनुमान जी का मंदिर है | घाट से लगा हुआ है स्वामी गिरिशानंद जी का आश्रम जिसे "साकेत धाम" के नाम से जाना जाता है |
 
 
 
'''रामलला मंदिर''' - ग्वारीघाट मुख्य सड़क पर है रामलला मंदिर, यह बहुत ही प्रसिध्द मंदिर है |
 
 
 
'''गीता धाम''' - ग्वारीघाट नेरो गेज लाइन से जबलपुर से जुड़ा हुआ है | ग्वारीघाट  रेलवे स्टेशन के पास मे ही है गीता धाम मंदिर जिसका निर्माण "महंत श्री रामचंद्र शास्त्री" जी ने करवाया था, अब उनके शिष्य "डॉ. श्यामदास जी महाराज" इस मंदिर के महंत हैं |
 

12:44, 9 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

ग्वारीघाट
ग्वारीघाट, जबलपुर
विवरण ग्वारीघाट, जबलपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला जबलपुर
हवाई अड्डा डूम्ना (जबलपुर)
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
संबंधित लेख जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश, हनुमान, जबलपुर


अन्य जानकारी ग्वारीघाट पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक तीर्थ स्थल का रूप ले चुका है।
अद्यतन‎ 06:24, 29 अगस्त 2017 (IST)

ग्वारीघाट जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित एक ग्राम है। जबलपुर के निकट स्थित इस ग्राम के प्राचीन खंडहरों में पुरातत्त्व की प्रचुर एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री बिखरी पड़ी हैं, जिनको अभी तक प्रकाश में नहीं लाया गया है।

  • यहाँ पर 'श्रीरामलला हनुमान' का सुप्रसिद्ध मंदिर है, जो अब एक तीर्थ स्थल का रूप ले चुका है।
  • इस मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमान जी को अर्जी लगाते हैं।

कैसे पहुँचें ?

ग्वारीघाट, जबलपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क और नेरोगेज रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ है, मुख्य बस स्टेंड से बस टेक्सी आसानी से उपलब्ध होते हैं। निकट्तम हवाई अड्डा डूम्ना (जबलपुर) है।

अन्य घाट

उमा घाट

ग्वारीघाट से लगा हुआ है उमा घाट। इसका नाम नेत्री सुश्री उमा भारती जी के नाम पर रखा गया है। इसी घाट पर माँ नर्मदा की आरती का आयोजन प्रतिदिन संध्या समय किया जाता है। जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।

जिलहरी घाट

उमा घाट के बाद जिलहरी घाट आता है।

दारोगा घाट

ग्वारीघाट के दूसरी ओर है दारोगा घाट। कहा जाता है कि पुराने समय में जब सड़कों का अभाव था तब व्यापारी अपना सामान इस घाट से ही नाव के द्वारा नर्मदा के उस पार ले जाया करते थे, उनसे कर लेने का काम दारोगा के ज़िम्मे होता था। दारोगा इसी घाट पर बैठ कर "कर" वसूलते थे। इसी कारण से इस घाट का नाम दारोगा घाट पड़ा।

खारी घाट

दारोगा घाट से आगे चलने पर आता है खारी घाट। जबलपुर की स्थानीय भाषा मे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन को "खारी" कहा जाता है। इस घाट पर लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। इसी कारण से इसे खारी घाट कहा जाता है। घाट पर अति प्राचीन बाल हनुमान जी का मंदिर है। घाट से लगा हुआ है स्वामी गिरिशानंद जी का आश्रम जिसे "साकेत धाम" के नाम से जाना जाता है।

रामलला मंदिर

ग्वारीघाट मुख्य सड़क पर है रामलला मंदिर, यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।

गीता धाम

ग्वारीघाट नेरो गेज लाइन से जबलपुर से जुड़ा हुआ है। ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन के पास में ही है गीता धाम मंदिर जिसका निर्माण "महंत श्री रामचंद्र शास्त्री" जी ने करवाया था, अब उनके शिष्य "डॉ. श्यामदास जी महाराज" इस मंदिर के महंत हैं।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 311 |


संबंधित लेख