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15:07, 2 जून 2010 का अवतरण

रघुनाथ शिरोमणि रचित पदार्थ तत्त्व निरूपणम (पदार्थखण्डनम्)

  • रघुनाथ शिरोमणि का जन्म सिलहर (आसाम) में हुआ था।
  • विद्याभूषण के अनुसार इनका समय 1477-1557 ई. है।
  • इनके पूर्वज मिथिला से आसाम में गये थे।
  • इनके पिता का नाम गोविन्द चक्रवर्ती और माता का नाम सीता देवी था।
  • गोविन्द चक्रवर्ती की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के कारण इनकी माता ने बड़े कष्ट के साथ इनका पालन किया।
  • यात्रियों के एक दल के साथ वह गंगास्नान करने के लिए नवद्वीप पहुँची।
  • संयोगवश उसने वासुदेव सार्वभौम के घर पर आश्रय प्राप्त किया।
  • वासुदेव से ही रघुनाथ को विद्या प्राप्त हुई।
  • बाद में रघुनाथ ने मिथिला पहुँच कर पक्षधर मिश्र से न्याय का अध्ययन किया।
  • रघुनाथ ने अनेक ग्रन्थों की रचना की—
  1. उदयन के आत्मतत्त्वविवेक और न्यायकुसुमांजलि पर टीका
  2. श्रीहर्ष के खण्डनखण्डखाद्य पर - दीधिति
  3. वल्लभ की न्यायलीलावती पर - दीधिति
  4. गंगेश की तत्त्वचिन्तामणि पर - दीधिति
  5. वर्धमान के किरणावलीप्रकाश पर - दीधिति
  • रघुनाथ सभी विद्यास्थानों में दक्ष थे।
  • उन्होंने अपनी शास्त्रार्थधौरेयता के संबन्ध में जो कथन किये, वे आज भी विद्ववर्ग में चर्चा के विषय बने रहते हैं।
  • रघुनाथ द्वारा वैशेषिक दर्शन पर रचित पदार्थ तत्त्व निरूपण नामक ग्रन्थ पदार्थखण्डनम तथा पदार्थविवेचनम के अपर नामों से भी ख्याति है।
  • रघुनाथ ने वैशेषिक के सात पदार्थों की समीक्षा की और विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया।
  • इसी प्रकार उन्होंने नौ द्रव्यों के स्थान पर छ: द्रव्य माने। आकाश, काल और दिशा रघुनाथ की दृष्टि में तीन अलग-अलग द्रव्य नहीं, अपितु एक ही द्रव्य के तीन रूप हैं।
  • उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना।

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