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फ्लोरीन का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। प्लैटिनम इरीडियम [[मिश्रधातु]] का बना U के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी सेल लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में पोटैशियम फ्लोराइड विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर फ्लोरीन मुक्त होगी। मुक्त फ्लोरीन को विशुद्ध करने के हेतु [[प्लैटिनम]] के ठंडे बरतन तथा सोडियम फ्लोराइड की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।
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05:42, 15 जुलाई 2011 का अवतरण

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फ़्लोरीन
साधारण गुणधर्म
नाम, प्रतीक, संख्या फ़्लोरीन, F, 9
तत्व श्रेणी हैलोजन
समूह, आवर्त, कक्षा 17, 2, p
मानक परमाणु भार 18.9984032g·mol−1
इलेक्ट्रॉन विन्यास 1s2 2s2 2p5
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 7
भौतिक गुणधर्म
अवस्था गैस
घनत्व (0 °C, 101.325 kPa)
1.696 g/L
तरल घनत्व (गलनांक पर) 1.505 g·cm−3
गलनांक 53.53 K, -219.62 °C, -363.32 °F
क्वथनांक 85.03 K, -188.12 °C, -306.62 °F
संकट बिंदु 144.00 K, 5.220 MPa
संलयन ऊष्मा 0.51 किलो जूल-मोल
वाष्पन ऊष्मा 3.27 किलो जूल-मोल
विशिष्ट ऊष्मीय
क्षमता
(Cp) (21.1 °C) 825 J·mol−1·K−1
(Cv) (21.1 °C) 610

जूल-मोल−1किलो−1

वाष्प दाब
P (Pa) 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T (K) 38 44 50 58 69 85
परमाण्विक गुणधर्म
ऑक्सीकरण अवस्था −1
(ऑक्सीडाइज ऑक्सीजन)
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी 3.98 (पाइलिंग पैमाना)
आयनीकरण ऊर्जाएँ
(अधिक)
1st: 1681.0 कि.जूल•मोल−1
2nd: 3374.2 कि.जूल•मोल−1
3rd: 6050.4 कि.जूल•मोल−1
सहसंयोजक त्रिज्या 60 pm
वैन्डैर वाल्स त्रिज्या 152 pm
विविध गुणधर्म
क्रिस्टल संरचना ठोस
चुम्बकीय क्रम प्रतिचुम्बकीय
ऊष्मीय चालकता (300 K) 0.02591 W·m−1·K−1
सी.ए.एस पंजीकरण
संख्या
7782-41-4
समस्थानिक
समस्थानिक प्रा. प्रचुरता अर्द्ध आयु क्षरण अवस्था क्षरण ऊर्जा
(MeV)
क्षरण उत्पाद
18F ट्रेस 109.77 min β+ (97%) 0.633 18O
ε (3%) 1.656 18O
19F 100% 19F 10 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर

फ्लोरीन आवर्त सारणी के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक प्राप्त है और तीन रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक्‌ किया था। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पोटैशियम फ्लोराइड के मिश्रण के वैद्युत्‌ अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था। फ्लोरीन मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता।

फ्लोरीन का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। प्लैटिनम इरीडियम मिश्रधातु का बना U के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी सेल लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में पोटैशियम फ्लोराइड विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर फ्लोरीन मुक्त होगी। मुक्त फ्लोरीन को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा सोडियम फ्लोराइड की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।


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