कोबाल्ट

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कोबाल्ट
कठोर चमकदार सिलेटी धातु
साधारण गुणधर्म
नाम, प्रतीक, संख्या कोबाल्ट, Co, 27
तत्व श्रेणी संक्रमण धातु
समूह, आवर्त, कक्षा 9, 4, d
मानक परमाणु भार 58.933195g·mol−1
इलेक्ट्रॉन विन्यास 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d7
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 8, 15, 2
भौतिक गुणधर्म
रंग धातुमय सिलेटी
घनत्व (निकट क.ता.) 8.90 g·cm−3
तरल घनत्व
(गलनांक पर)
7.75 g·cm−3
गलनांक 1768 K, 1495 °C, 2723 °F
क्वथनांक 3200 K, 2927 °C, 5301 °F
संलयन ऊष्मा 16.06 किलो जूल-मोल
वाष्पन ऊष्मा 377 किलो जूल-मोल
विशिष्ट ऊष्मीय
क्षमता
24.81

जूल-मोल−1किलो−1

वाष्प दाब
P (Pa) 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T (K) 1790 1960 2165 2423 2755 3198
परमाण्विक गुणधर्म
ऑक्सीकरण अवस्था 5, 4 , 3, 2, 1, -1
(उभयधर्मी ऑक्साइड)
इलेक्ट्रोनेगेटिविटी 1.88 (पाइलिंग पैमाना)
आयनीकरण ऊर्जाएँ
(अधिक)
1st: 760.4 कि.जूल•मोल−1
2nd: 1648 कि.जूल•मोल−1
3rd: 3232 कि.जूल•मोल−1
परमाण्विक त्रिज्या 125 pm
सहसंयोजक त्रिज्या 126±3 (low spin), 150±7 (high spin) pm
विविध गुणधर्म
क्रिस्टल संरचना षट्कोण
चुम्बकीय क्रम लोहचुम्बकीय
वैद्युत प्रतिरोधकता (20 °C) 62.4 nΩ·m
ऊष्मीय चालकता (300 K) 100 W·m−1·K−1
ऊष्मीय प्रसार (25 °C) 13.0 µm·m−1·K−1
ध्वनि चाल (पतली छड़ में) (20 °C) 4720 m.s-1
यंग मापांक 209 GPa
अपरूपण मापांक 75 GPa
स्थूल मापांक 180 GPa
पॉयज़न अनुपात 0.31
मोह्स कठोरता मापांक 5.0
विकर्स कठोरता 1043 MPa
ब्राइनल कठोरता 700 MPa
सी.ए.एस पंजीकरण
संख्या
7440-48-4
समस्थानिक
समस्थानिक प्रा. प्रचुरता अर्द्ध आयु क्षरण अवस्था क्षरण ऊर्जा
(MeV)
क्षरण उत्पाद
56Co syn 77.27 d ε 4.566 56Fe
57Co syn 271.79 d ε 0.836 57Fe
58Co syn 70.86 d ε 2.307 58Fe
59Co 100% 59Co 32 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
60Co syn 5.2714 y β, γ, γ 2.824 60Ni

कोबाल्ट (अंग्रेज़ी:cobalt) एक रासायनिक तत्व है। कोबाल्ट का संकेत Co, परमाणु संख्या 27, परमाणु भार 59.94 है। प्राचीन काल के रंगीन कांच के विश्लेषण से पता लगता है कि कोबाल्ट के खनिज का उपयोग तब ज्ञात था। ऐग्रिकोला ने 1530 ई. में कुछ खनिजों और अयस्कों के लिए कोबाल्ट शब्द का प्रयोग किया था। 1742 ई. में ब्रांट ने पहले पहल अशुद्ध रूप में इस धातु को प्राप्त किया था। उन्होंने इसके चुंबकीय गुण और ऊँचे द्रवणांक का भी पता लगाया था। कुछ खनिजों के पिघलाने से नीले रंग के बनने का कारण यही तत्व था। इस धातु का प्रारंभिक अध्ययन बैर्गमैन ने किया। कोबाल्ट अन्य धातुओं के खनिजों, विशेषत: लोहे और सीसे के खनिजों के साथ मिला हुआ पाया जाता है।

खनिजों से धातु प्राप्त करने की विधि खनिजों की प्रकृति और उनमें उपस्थित धातुओं पर निर्भर करती है। धातु कर्म वस्तुत: कुछ पेचीदा होता है। इस खनिज को दलकर भट्ठियों में भूनते हैं। इससे वाष्पशील अंश बहुत कुछ निकल जाता है। फिर नमक के साथ उत्तप्त करते हैं, जिससे चाँदी अविलेय सिल्वर क्लोराइड में परिणत हो जाती हैं। जलविलेय निष्कर्ष में कोबाल्ट के अतिरिक्त निकल और ताँबा रहते हैं। लौह धातु के उपचार से ताँबे को अवक्षिप्त करके अलग कर लेते हैं। अवशेष को अब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुलाते हैं। विलयन को चूना पत्थर से उदासीन बनाकर, लोहे को हाइड्राम्क्साइड के रूप में अवक्षिप्त कर लेते हैं। निस्यंद को अब बिरंजक चूने के उपचार से कोबाल्ट का काले कोबाल्ट हाइड्रॉक्साइड के रूप में अवक्षेप निकल जाता है और निकल विलयन में रह जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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