एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"बिपिन चन्द्र" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Bipin-Chandra.jpg|thumb|प्रो. बिपिन चन्द्र]]
+
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
'''बिपिन चन्द्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bipan Chandra'', जन्म: [[27 मई]], [[1928]] – मृत्यु: [[30 अगस्त]], [[2014]]) प्रख्यात इतिहासकार एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पूर्व अध्यक्ष थे। प्रोफेसर बिपिन चन्द्र [[भारत]] के स्वतंत्रता संघर्ष और आधुनिक इतिहास लेखन परंपरा में मार्क्सवादी चिंतन धारा के इतिहासकार थे।
+
|चित्र=Bipin-Chandra.jpg
 +
|चित्र का नाम=प्रो. बिपिन चन्द्र
 +
|पूरा नाम=प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म=[[27 मई]], [[1928]] 
 +
|जन्म भूमि=[[कांगड़ा]], [[हिमाचल प्रदेश]]
 +
|मृत्यु=[[30 अगस्त]], [[2014]](आयु- 86 वर्ष)
 +
|मृत्यु स्थान=[[गुड़गाँव]], [[हरियाणा]]
 +
|अविभावक=
 +
|पालक माता-पिता=
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|कर्म भूमि=
 +
|कर्म-क्षेत्र=इतिहासकार
 +
|मुख्य रचनाएँ=
 +
|विषय=
 +
|भाषा=[[हिंदी]], [[अंग्रेज़ी]]
 +
|विद्यालय=फ़ोर्मन क्रिश्चियन कॉलेज, [[लाहौर]], स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]]
 +
|शिक्षा=पीएच.डी
 +
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]] (2010)
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|विशेष योगदान=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=बिपिन चन्द्र, [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] सरकार के कार्यकाल में [[राष्ट्रीय पुस्तक न्यास]] के अध्यक्ष भी बनाये गये थे।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''बिपिन चन्द्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bipan Chandra'', जन्म: [[27 मई]], [[1928]] – मृत्यु: [[30 अगस्त]], [[2014]]) प्रख्यात इतिहासकार एवं [[राष्ट्रीय पुस्तक न्यास]] के पूर्व अध्यक्ष थे। प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र [[भारत]] के स्वतंत्रता संघर्ष और आधुनिक इतिहास लेखन परंपरा में मार्क्सवादी चिंतन धारा के इतिहासकार थे।
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
[[हिमाचल प्रदेश]] के [[कांगड़ा]] में 27 मई, 1928 को जन्मे प्रो. विपिन चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत होने के बाद वह [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और [[2012]] तक इस पद पर रहे। वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे। प्रो. बिपिन चंद्र ने [[लाहौर]] और [[दिल्ली]] में भी पढाई पूरी की थी। वह [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के हिन्दू कालेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके थे। वह [[1985]] में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे। उन्होंने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है। जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता, भारतीय वामपंथ पर उनकी पुस्तकें चर्चित थीं। उन्होंने [[जयप्रकाश नारायण]] और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थीं।<ref>{{cite web |url=http://www.punjabkesari.in/news/article-279451 |title=प्रसिद्ध इतिहासकार विपिन चंद्र का निधन |accessmonthday=31 अगस्त |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पंजाब केसरी |language= हिंदी}}</ref>
 
[[हिमाचल प्रदेश]] के [[कांगड़ा]] में 27 मई, 1928 को जन्मे प्रो. विपिन चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत होने के बाद वह [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और [[2012]] तक इस पद पर रहे। वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे। प्रो. बिपिन चंद्र ने [[लाहौर]] और [[दिल्ली]] में भी पढाई पूरी की थी। वह [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के हिन्दू कालेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके थे। वह [[1985]] में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे। उन्होंने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है। जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता, भारतीय वामपंथ पर उनकी पुस्तकें चर्चित थीं। उन्होंने [[जयप्रकाश नारायण]] और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थीं।<ref>{{cite web |url=http://www.punjabkesari.in/news/article-279451 |title=प्रसिद्ध इतिहासकार विपिन चंद्र का निधन |accessmonthday=31 अगस्त |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पंजाब केसरी |language= हिंदी}}</ref>
पंक्ति 6: पंक्ति 38:
 
* आधुनिक भारत का इतिहास
 
* आधुनिक भारत का इतिहास
 
* आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद
 
* आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद
 +
* 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म' 
 +
* 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस'
 +
* 'इंडियाज़ स्ट्रगल फ़ॉर इंडिपेंडेंस' 
 
==योगदान==
 
==योगदान==
 
महान इतिहासकार बिपिन चंद्र का आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया। बिपिन चंद्र ने ही खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज़ उठाई थी और उन्होंने इसे [[हिन्दू]] व [[सिख|सिखों]] को बांटने वाली सांप्रदायिकता करार दिया था।
 
महान इतिहासकार बिपिन चंद्र का आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया। बिपिन चंद्र ने ही खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज़ उठाई थी और उन्होंने इसे [[हिन्दू]] व [[सिख|सिखों]] को बांटने वाली सांप्रदायिकता करार दिया था।
पंक्ति 14: पंक्ति 49:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
*[http://www.nbtindia.gov.in/ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{इतिहासकार}}
 
{{इतिहासकार}}

08:41, 31 अगस्त 2014 का अवतरण

बिपिन चन्द्र
प्रो. बिपिन चन्द्र
पूरा नाम प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र
जन्म 27 मई, 1928
जन्म भूमि कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
मृत्यु 30 अगस्त, 2014(आयु- 86 वर्ष)
मृत्यु स्थान गुड़गाँव, हरियाणा
कर्म-क्षेत्र इतिहासकार
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
विद्यालय फ़ोर्मन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर, स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय
शिक्षा पीएच.डी
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण (2010)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बिपिन चन्द्र, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष भी बनाये गये थे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

बिपिन चन्द्र (अंग्रेज़ी: Bipan Chandra, जन्म: 27 मई, 1928 – मृत्यु: 30 अगस्त, 2014) प्रख्यात इतिहासकार एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पूर्व अध्यक्ष थे। प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और आधुनिक इतिहास लेखन परंपरा में मार्क्सवादी चिंतन धारा के इतिहासकार थे।

जीवन परिचय

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 27 मई, 1928 को जन्मे प्रो. विपिन चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत होने के बाद वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और 2012 तक इस पद पर रहे। वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे। प्रो. बिपिन चंद्र ने लाहौर और दिल्ली में भी पढाई पूरी की थी। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कालेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके थे। वह 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे। उन्होंने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है। जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता, भारतीय वामपंथ पर उनकी पुस्तकें चर्चित थीं। उन्होंने जयप्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थीं।[1]

प्रमुख पुस्तकें

  • आधुनिक भारत का इतिहास
  • आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद
  • 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म'
  • 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस'
  • 'इंडियाज़ स्ट्रगल फ़ॉर इंडिपेंडेंस'

योगदान

महान इतिहासकार बिपिन चंद्र का आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया। बिपिन चंद्र ने ही खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी आवाज़ उठाई थी और उन्होंने इसे हिन्दूसिखों को बांटने वाली सांप्रदायिकता करार दिया था।

निधन

लंबी बीमारी के चलते 30 अगस्त 2014 को प्रो. बिपिन चंद्र का उनके आवास पर गुड़गांव, हरियाणा में निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रसिद्ध इतिहासकार विपिन चंद्र का निधन (हिंदी) पंजाब केसरी। अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख