हंसमुख धीरजलाल सांकलिया

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:58, 9 फ़रवरी 2021 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
हंसमुख धीरजलाल सांकलिया

हंसमुख धीरजलाल सांकलिया (अंग्रेज़ी: Hasmukh Dhirajlal Sankalia, जन्म- 10 दिसंबर, 1908, मुम्बई; मृत्यु- 28 जनवरी, 1989, पुणे) भारतीय पुरातत्त्वविद थे। प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1974 में उन्हें 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। उन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास का विशेषज्ञ माना जाता था। कहा जाता है कि हंसमुख धीरजलाल सांकलिया ने भारत में पुरातात्विक उत्खनन तकनीकों का बीड़ा उठाया, जिसमें प्रागैतिहासिक काल से लेकर उनके श्रेय तक की कई महत्वपूर्ण खोजें हैं।

  • हंसमुख धीरजलाल सांकलिया का जन्म मुंबई, महाराष्ट्र में गुजरात के रहने वाले वकीलों के परिवार में हुआ था।
  • उन्होंने संस्कृत विषय के साथ बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी।
  • पन्द्रह वर्ष की आयु में हंसमुख धीरजलाल सांकलिया ने वेदों में लोकमान्य तिलक के आर्कटिक होम के गुजराती अनुवाद को पढ़ा। हालाँकि उन्हें इस पुस्तक के बारे में कम ही पता था।
  • सन 1966 में उन्हें 'रंजीतराम सुवर्ण चंद्रक पुरस्कार' मिला था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख