कुशमाल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आशा चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:03, 26 अप्रैल 2018 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कुशमाल शूर्पारकजातक में वर्णित एक पौराणिक समुद्र का नाम है, जहाँ भरुकच्छ के व्यापारी एक बार जा पहुँचे थे।[1]

  • शूर्पारकजातक में इस समुद्र का वर्णन इस प्रकार है-

'यथा कुसो व सस्सो व समुद्दोपति दिस्सति’

अर्थात् यह समुद्र कुश या अनाज के तृणों की भांति हरा दिखाई देता है।

  • इस समुद्र में नीलमणि उत्पन्न होती थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 211 |

संबंधित लेख