कुम्भ मेला 2013
कुम्भ मेला 2013 इलाहाबाद में 14 जनवरी से 10 मार्च के बीच आयोजित किया गया। वर्ष 2001 में कुम्भ मेला यहां 44 दिनों के लिए था जबकि कुम्भ 2013 कुल 55 दिनों के लिए था। इस दौरान इलाहाबाद (प्रयाग) सर्वाधिक आबादी वाला शहर बन जाता है। 5 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में 8 करोड़ लोगों का उपस्थित होना विश्व की सबसे अद्भुत घटना है।
कुम्भ मेला
कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुम्भ पर्व स्थल- हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष इस पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्द्ध कुम्भ होता है। इस समय गंगा की पावन धारा में अमृत का सतत प्रवाह होता है। इसी समय कुम्भ स्नान का संयोग बनता है। कुम्भ पर्व भारतीय जनमानस की पर्व चेतना की विराटता का द्योतक है। विशेषकर उत्तराखंड की भूमि पर तीर्थ नगरी हरिद्वार का कुम्भ तो महाकुम्भ कहा जाता है। भारतीय संस्कृति की जीवन्तता का प्रमाण प्रत्येक 12 वर्ष में यहाँ आयोजित होता है।
प्रयाग कुम्भ
प्रयाग कुम्भ का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह 12 वर्षो के बाद गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर आयोजित किया जाता है। हरिद्वार में कुम्भ गंगा के तट पर और नासिक में गोदावरी के तट पर आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर नदियों के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री आते है। यह कुम्भ अन्य कुम्भों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रकाश की ओर ले जाता है। यह ऐसा स्थान है जहाँ बुद्धिमत्ता का प्रतीक सूर्य का उदय होता है। इस स्थान को ब्रह्माण्ड का उद्गम और पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्माण्ड की रचना से पहले ब्रह्माजी ने यहीं अश्वमेध यज्ञ किया था। दश्वमेघ घाट और ब्रह्मेश्वर मंदिर इस यज्ञ के प्रतीक स्वरूप अभी भी यहाँ मौजूद है। इस यज्ञ के कारण भी कुम्भ का विशेष महत्व है। 'कुम्भ' और 'प्रयाग' एक दूसरे के पर्यायवाची हैं।[1]
तीर्थराज प्रयाग
तीर्थराज प्रयाग धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से अति-महत्त्वपूर्ण है। इसने हमारी भारतीय सभ्यता को संभाल कर रखा है। यह आत्मज्ञान और ज्ञान प्राप्ति का उत्तम स्थान है। यह मानव प्रेम की शिक्षा देता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म देव ने ब्रह्माण्ड के निर्माण से पूर्व पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए यज्ञ यहीं किया इसीलिए इसका नाम प्रयाग पड़ा। प्रयाग का अर्थ होता है 'शुद्धिकरण का स्थान'। ब्रिटिश शासन के दौरान प्रयाग में प्रांतीय कार्यालय, उच्च न्यायालय स्थापित किये गये। उन दिनों प्रयाग सामाजिक, बौद्धिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था। प्रयाग का स्वतंत्रता की लड़ाई में भी विशेष योगदान रहा है। प्रयाग की भूमि अमर व्यक्तित्वों की भूमि है। प्रयाग का अत्यधिक धार्मिक महत्व है और 'तीर्थ के राजा' के रूप में जाना जाता है, तीन पवित्र नदियों के संगम पर स्थित होने की वजह से इसमें छह घाट हैं। दो घाट गंगा के तट पर, दो यमुना के तट पर और दो घाट संगम तट पर बने हुए हैं। संगम के पश्चिम में 'धिर्त्य-कुलिया' और 'मधु-कुलिया' स्थित हैं। इससे आगे 'निरंजन तीर्थ' और 'औदित्य तीर्थ' स्थित हैं। 'शिशिर मोचन' और 'परशुराम तीर्थ' क़िले के नीचे हैं। सरस्वती नदी का स्थान इसे ही माना जाता हैं। 'गौघाट' का अपना विशेष महत्व है। बहुत से लोग इस स्थान पर स्नान करने के बाद गौ दान करते हैं। इससे कुछ आगे 'कपिल-तीर्थ' है जो कि सम्राट कपिल के द्वारा निर्मित किया गया था। यही पर 'इन्देश्वर शिव', 'तारकेश्वर कुन्ड', और 'तारकेश्वर शिव मंदिर' भी हैं। 'दशमेश घाट' के पश्चिम में 'लक्ष्मी-तीर्थ' है इसके दक्षिण में 'महादेवी-तीर्थ' है और पास में 'उर्वशी-तीर्थ' एवं 'उर्वशी कुन्ड' हैं। ऐसी मान्यता है कि अप्सरा उर्वशी यहाँ स्नान करती थी। त्रिवेणी के उस पार 'अग्निकर' है, 'सोमेश्वर-महादेव' और 'सोम तीर्थ' भी यहीं हैं।[2]
कुम्भ पर्व का योग
जब सूर्य एवं चंद्र मकर राशि में होते हैं और अमावस्या होती है तथा मेष अथवा वृषभ के बृहस्पति होते हैं तो प्रयाग में कुम्भ महापर्व का योग होता है। मुख्य स्नान तिथियों पर सूर्योदय के समय रथ और हाथी पर संतों के रंगारंग जुलूस का भव्य आयोजन होता है। पवित्र गंगा नदी में संतों द्वारा डुबकी लगाई जाती है। विक्रम संवत् 2069 (सन् 2013) में प्रयागराज (इलाहाबाद) में पड़ने वाले महापर्व में निम्न शाही स्नान और सामान्य स्नान की तिथियां यहां प्रस्तुत हैं -
स्नान सूची | पर्व | दिनांक | वार (दिवस) | स्नान का महत्व |
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प्रथम स्नान | मकर संक्रांति | 14 जनवरी 2013 | सोमवार | शाही स्नान |
द्वितीय स्नान | पौष पूर्णिमा | 27 जनवरी 2013 | रविवार | शाही स्नान |
तृतीय स्नान | एकादशी | 6 फरवरी 2013 | गुरुवार | सामान्य स्नान |
चतुर्थ स्नान | मौनी अमावस्या | 10 फरवरी 2013 | रविवार | शाही स्नान |
पंचम स्नान | बसंत पंचमी | 15 फरवरी 2013 | शुक्रवार | शाही स्नान |
छठवां स्नान | रथ सप्तमी | 17 फरवरी 2013 | रविवार | सामान्य स्नान |
सप्तम स्नान | भीष्म एकादशी | 18 फरवरी 2013 | सोमवार | सामान्य स्नान |
अष्टम स्नान | माघी पूर्णिमा | 25 फरवरी 2013 | सोमवार | शाही स्नान |
नवम स्नान | महाशिवरात्रि | 10 मार्च 2013 | रविवार | सामान्य स्नान |
पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला
ब्रिटिश और भारतीय शोधकर्ताओं ने चार साल के अध्ययन के बाद कहा है कि इस साल इलाहाबाद में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर होने जा रहा महाकुंभ विश्व के सबसे विशालतम धार्मिक जमावड़े में से एक है और यह 'पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला है'। ब्रिटिश और भारतीय शोधकर्ताओं के दल ने चार साल तक कुंभ का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने देखा कि लोग एक दूसरे के साथ किस तरह से व्यवहार करते हैं, भीड़ का उनका क्या अनुभव है और इस भीड़ का उनके रोजमर्रा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन में कुंभ मेले को एक अविश्वसनीय कार्यक्रम और पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला बताया गया है। महाकुंभ मेले में पूरी दुनिया के लोग आते हैं और लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ के दौरान धर्म गुरुओं जुलूस तथा राख लपेटे नागा साधु सभी के आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह अध्ययन डूंडी विश्वविद्यालय के निक हॉपकिंस और सेंट एंड्रियूज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन रेइसर तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नारायण श्रीनिवासन के नेतृत्व में किया गया है।[4]
मेला क्षेत्र
- 2001 में कुंभ क्षेत्र - 6073 बीघा
- 2007 में अर्द्ध कुंभ क्षेत्र - 5034 बीघा
- 2013 कुंभ के लिए - 10,339 बीघा
- स्थानीय प्रशासन की भूमि - 734 बीघा
- रेलवे की भूमि-32 बीघा
- किसानों से अधिग्रहीत होगी - 8602 बीघा
- शेष भूमि सेना तथा स्थानीय मोहल्लों की होगी।[5]
सावधानियाँ
ऐसा न करें
- पावन गंगा नदी में डिटरजेंट व साबुन के उपयोग से बचें।
- मेला प्रांगण में जली हुई सिगरेट या आग जलती हुई न छोड़ें।
- मेला प्रांगण में मदिरा, अन्य वस्तुएं व मांसाहारी खाने वाली चीजों को सेवन न करें।
- स्थानीय बच्चों को खाने की चीजें या मिठाईयां देकर न ललचाएं।
- ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए म्यूजिक सिस्टम की आवाज धीमी रखें।
- भिखारियों को बढ़ावा न दें।
ऐसा करें
- मेला प्राधिकरण द्वारा निर्धारित नियम व शर्तों का पालन करें।
- पॉलिथीन व प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें क्योंकि ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हैं।
- कूड़ा-कचरा को कूड़ेदान में ही डालें।
- पवित्र स्थलों पर सफाई का ध्यान रखें।
- फोटो लेते समय स्थानीय संस्कृति, परम्परा व गोपनीयता का ध्यान रखें।
कैसे पहुँचे इलाहाबाद
एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक, शैक्षिक और प्रशासनिक केंद्र होने के नाते, इलाहाबाद पूर्ण तरह से वायु, रेल और सड़क के माध्यम से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग
इलाहाबाद भारत के मैदानों के गढ़ में स्थित है। इलाहाबाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (एन.एच. 2) दिल्ली - कोलकाता को जोड़ता है जो कि इलाहाबाद से होकर गुजरता है, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (एन.एच. 27) इलाहाबाद से शुरू होकर मध्य प्रदेश के मंगवान तक जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 76 इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) को पिन्द्वारा (राजस्थान) से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 96 फैजाबाद के राष्ट्रीय राजमार्ग 28 से जुड़ा हुआ है, जो कि हिंदू तीर्थ के दो प्रमुख केन्द्रों इलाहाबाद और अयोध्या को जोड़ता है। इलाहाबाद के तीन बस अड्डों से, अंतरराज्यीय बस सेवाओं के माध्यम से इलाहाबाद देश के विभिन्न मार्गों से जुड़ा है।[6]
हवाई यात्रा
इलाहाबाद घरेलू हवाई अड्डा, 'बमरौली एयर फोर्स बेस' के रूप में भी जाना जाता है, यह इलाहाबाद से 12 कि.मी. की दूरी पर है। इलाहाबाद से निकटतम अन्य दो हवाई अड्डे हैं, वाराणसी में 'लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा' (150 कि.मी.) और लखनऊ में 'अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा' (200 कि.मी.) । यह दोनों हवाई अड्डे भारत के अन्य प्रमुख शहरों से भी जुड़े हुए हैं। एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो-एयर, इंडिगो जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस और स्पाइस जेट जैसी प्रमुख एयरलाइन भी दैनिक उड़ानों के लिए उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से स्थानीय गाड़ी और अंतरराज्यीय बसों का उपयोग इलाहाबाद तक पहुँचने के लिए किया जा सकता है।[6]
रेल यात्रा
'उत्तर मध्य रेलवे जोन' का मुख्यालय होने के नाते, इलाहाबाद भारतीय रेल का प्रमुख स्टेशन है। इलाहाबाद में आठ रेलवे स्टेशन हैं जो भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, भोपाल, ग्वालियर, जयपुर आदि से जुड़े हुए हैं। रेलवे स्टेशन में स्थानीय गाड़ी, ऑटो रिक्शा और सिटी बसें अपनी गन्तव्य स्थान तक पहुँचने के लिए उपलब्ध हैं।[6]
आवास स्थान
इलाहाबाद में पर्यटकों को विभिन्न स्थानों में रहने के लिए हर सुविधाएं उपलब्ध है, जैसे डीलक्स होटल, बजट होटल, विरासत होटल, गेस्टहाउस, धर्मशाला, और शिविर। इन सुविधाओं में से कोई भी सुविधा अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं। आप ऑनलाइन के माध्यम से इलाहाबाद के होटलों को बुक कर सकते हैं।
समाचार
- 10 मार्च 2013 रविवार
महाशिवरात्रि पर लाखों ने लगाई संगम में डुबकी
गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर बसी आस्था की नगरी में रविवार (10 मार्च 2013) को एक बार फिर महाशिवरात्रि के अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े हैं। सुबह तड़के से ही संगम में साधु-संतों व श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का सिलसिला शुरू हो गया था। अब तक लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाशिवरात्रि पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के जत्थों का आना पिछले कई दिनों से चल रहा था। शनिवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेला क्षेत्र पहुंचे। मेला प्रशासन ने इस अंतिम स्नान पर्व पर 55 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान लगाया है। हर-हर महादेव की गूंज के साथ ही आज (10 मार्च) ही कुंभमेला 2013 समाप्त हुआ। गौरतलब है कि मकर संक्रांति के शाही स्नान से कुंभ मेला 2013 का विधिवत शुभारंभ हुआ था। अखाड़ों के महंत, हजारों संत-महात्माओं के भव्य शिविर से पूरा कुंभनगर 55 दिनों तक गुलजार था। प्रयाग में कल्पवास का आरंभ वैसे तो पौष पूर्णिमा से होता है और अमूमन मकर संक्रांति पौष पूर्णिमा के बाद आती है। वर्षो बाद ऐसा संयोग बना जब पौष पूर्णिमा मकर संक्रांति के बाद आई।
समाचार को निम्न स्रोतों पर पढ़ें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कुम्भ 2013 (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) कुम्भ मेला (आधिकारिक वेबसाइट)। अभिगमन तिथि: 7 जनवरी, 2013।
- ↑ तीर्थराज प्रयाग (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) कुम्भ मेला (आधिकारिक वेबसाइट)। अभिगमन तिथि: 8 जनवरी, 2013।
- ↑ इलाहाबाद कुम्भ मेला 2013 : मुख्य स्नान तिथियां (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 7 जनवरी, 2013।
- ↑ पृथ्वी पर सबसे बड़ा मेला है कुंभ (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2013।
- ↑ कुंभ की तैयारी में तेज़ीशाही स्नान की तिथियां घोषित (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) पांचजन्य। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2013।
- ↑ 6.0 6.1 6.2 कैसे पहुँचे इलाहाबाद (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) कुम्भ मेला (आधिकारिक वेबसाइट)। अभिगमन तिथि: 7 जनवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
- कुम्भ 2013 के दौरान अनुमानित तीर्थयात्री
- बारह वर्षों बाद 2012-13 में होगा कुम्भ मेला
- कुम्भ मेला : यातायात जानकारी
- इलाहाबाद पहुँचने के लिए रेलगाड़ी सूचना
- भारत के मुख्य शहरों से इलाहाबाद की दूरी
- ‘अखाड़ों से आतंकित कुम्भ मेला प्रशासन’
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