शेरपा
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शेरपा नेपाल और भारत के सिक्किम राज्य के पर्वतीय निवासी, जो भूटिया जनजाति से संबद्ध हैं। ये मूल रूप से पूर्व नेपाल की पहाड़ियों में रहने वाली जाति है। बौद्ध धर्म को मानने वाले शेरपा लोगों का शरीर और दमखम पर्वतारोहण के लिए एकदम अनुकूल होता है। शेरपा लोगों ने पर्वतारोहण के कई अभियानों को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है।
- शेरपा तिब्बती संस्कृति तथा वंश परंपरा के लोग हैं और तिब्बती बोली बोलते हैं।[1]
- इन लोगों की संख्या 1,20,000 के लगभग हैं और ये हिमालय के ऊंचे पर्वतों में कुली के रूप में अपने काम के लिए प्रसिद्ध हैं।
- शेरपा लोग किसी भी पर्वतीय अभियान के साथ मददगार बनाकर ले जाए जाते हैं। अभियान दल में सबसे आगे रहकर रस्सी लगाना, रूट सेट करना और चढ़ाई के लिए योजना बनाने का काम इन्हीं का होता है। आमतौर पर शेरपा कठिन अभियानों में ही साथ लिए जाते हैं।[2]
- एक शेरपा पर्वतरोही तेनज़िंग नोर्गे और सर एडमंड हिलेरी विश्व की सबसे ऊँची 'माउंट एवरेस्ट' की चोटी पर पहुंचने वाले (वर्ष 1953) पहले दो व्यक्ति थे।
- शेरपा व्यापारी पहाड़ी दर्रों में से होकर तिब्बत चावल लेकर जाते हैं, जहां वे उसका विनिमय नमक से करते हैं।
- कृषि और पशुपालन के साथ-साथ ये लोग ऊन की कताई और बुनाई करके जीविका चलाते हैं।
- पर्वतारोहण में सिद्धहस्त होने की इनकी प्रतिभा के कारण नेपाल में पर्वतारोहियों के गाईड तथा सामान ढोने के कार्यों में इन शेरपाओं की सेवा ली जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 310 |
- ↑ शिखर के शेर है शेरपा (हिन्दी) जागरण.कॉम। अभिगमन तिथि: 26 जून, 2014।