भीलों में आध्यात्मिक एवं धार्मिक समय पर किए जाने वाले नृत्य को साद नृत्य कहा जाता है। इस नृत्य में मंजिरा तथा तंदूरा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
इन्हें भी देखें: गरासिया जनजाति, राजस्थान की संस्कृति एवं राजस्थान की जनजातियाँ
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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