सामान्य सेवा पदक 1965
सामान्य सेवा पदक 1965 (अंग्रेज़ी: Samanya Seva Medal 1965) भारतीय सशस्त्र बलों को दिया जाने वाला एक सैन्य सेवा पदक है। इसकी स्थापना 8 मई 1975 को की गयी थी तथा 26 जनवरी 1965 से प्रभावी हुआ। सामान्य सेवा पदक उस सक्रिय सेवा के लिए दिया जाता है, जहां कोई अन्य पदक दिए जाने का प्रावधान नहीं है।
पात्रता शर्तें
सक्रिय सेवा की स्थिति या इसकी सदृश स्थितियों में सशस्त्र बलों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाता है। उपयुक्त स्थिति में, इस प्रकार की प्रत्येक संक्रिया के लिए राष्ट्रपति की ओर से एक बकसुआ प्रदान किया जाएगा। पहली बार पदक के लिए योग्य समझे जाने वाले व्यक्ति को पदक के साथ एक बकसुआ से सम्मानित किया जाएगा, जो उसके द्वारा किए गए विशेष कार्य को दर्शाएगा। इसके बाद उसके द्वारा किए जाने वाले ऐसे प्रत्येक कार्य के लिए एक बकसुआ की स्वीकृति दी जाएगी, जो उसके द्वारा किए गए विशेष कार्य को दर्शाएगा। बकसुआ से जुड़ी पट्टी में संक्रिया का नाम अथवा स्थान का नाम उत्कीर्ण होगा।
श्रेणियाँ
किसी संक्रिया अथवा किसी प्रदेश के अधिकृत क्षेत्र या प्रत्येक संक्रिया के लिए पृथक तौर पर निर्दिष्ट समय सीमा में सेवारत कर्मियों की निम्नलिखित श्रेणियों को इस पुरस्कार के योग्य समझा जाएगा।
- सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना और रक्षक योद्धा के सभी रैंकों के कर्मी तथा जीवन के सभी क्षेत्रों के पुरुष या महिलाएँ।
- विधि दवारा स्थापित कोई भी अन्य सशस्त्र बल और सुरक्षा बल, जो नियमित सशस्त्र बलों के परिचालन नियंत्रण के तहत सेवारत हैं।
पदक और फीते की बनावट
ताम्र-निकल से निर्मित इस गोलाकार पदक का व्यास 35 मि.मी. होता है, जो मानक प्रतिमान के अलंकरणों से सुसज्जित होता है। इसके अग्र-भाग पर राजकीय चिन्ह के साथ आदर्श वाक्य तथा इसके दोनों ओर बाहरी किनारों पर “सामान्य सेवा मेडल 1965” उत्कीर्ण होता है। इसके पृष्ठभाग पर भारतीय हाथी का प्रतिरूप अंकित होता है। भारतीय हरे रंग का रिबन, तीन खड़ी धारियों द्वारा चार बराबर भागों में विभाजित होता है, जिसमें लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग के प्रत्येक भाग की चौड़ाई तीन मिलीमीटर होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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