"इंद्रधनुष -कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर
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एक सलोना झोंका | एक सलोना झोंका | ||
भीनी-सी खुशबू का, | भीनी-सी खुशबू का, | ||
− | रोज़ मेरी नींदों को दस्तक दे जाता | + | रोज़ मेरी नींदों को दस्तक दे जाता है। |
+ | एक स्वप्न-इंद्रधनुष | ||
धरती से उठता है, | धरती से उठता है, | ||
आसमान को समेट बाहों में लाता है | आसमान को समेट बाहों में लाता है | ||
पंक्ति 44: | पंक्ति 45: | ||
तान छेड़ | तान छेड़ | ||
गाता है। | गाता है। | ||
− | इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है। पारे जैसे मन का | + | इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है। |
+ | पारे जैसे मन का | ||
कैसा प्रलोभन है | कैसा प्रलोभन है | ||
आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को। | आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को। | ||
पंक्ति 56: | पंक्ति 58: | ||
सच तो यह है कि | सच तो यह है कि | ||
हमें चाहिये दोनों ही | हमें चाहिये दोनों ही | ||
− | टुकड़ा भी,पूरा भी। | + | टुकड़ा भी, पूरा भी। |
− | पूरा भी ,अधूरा भी। | + | पूरा भी, अधूरा भी। |
एक को पाकर भी दूसरे की बेचैनी | एक को पाकर भी दूसरे की बेचैनी | ||
दोनों की चाहत में | दोनों की चाहत में | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 68: | ||
वह क्योंकर आता है? | वह क्योंकर आता है? | ||
रोज मेरे सपनों में आकर | रोज मेरे सपनों में आकर | ||
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क्यों गाता है? | क्यों गाता है? | ||
− | आज रात | + | आज रात.... |
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} |
12:34, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
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एक सलोना झोंका |
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