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'''भारत का संविधान (17वाँ संशोधन) अधिनियम,1964'''
 
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*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
 
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
*अनुच्छेद 31क में और आगे संशोधन किया गया, जिसके अनुसार निजी खेती के अधीन भूमि का अधिग्रहण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि प्रतिपूर्ति के रूप में उसका बाजार मूल्य न दिया जाए।  
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*अनुच्छेद 31क में और आगे संशोधन किया गया, जिसके अनुसार निजी खेती के अधीन भूमि का अधिग्रहण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि प्रतिपूर्ति के रूप में उसका बाज़ार मूल्य न दिया जाए।  
 
*साथ ही, इस संशोधन द्वारा उक्त अनुच्छेद में दी गई 'संपदा' की परिभाषा को पीछे की तारीख से लागू किया गया।  
 
*साथ ही, इस संशोधन द्वारा उक्त अनुच्छेद में दी गई 'संपदा' की परिभाषा को पीछे की तारीख से लागू किया गया।  
 
*नौवीं अनुसूची में भी संशोधन किया गया और उसमें 44 और अधिनियम शामिल किए गए।
 
*नौवीं अनुसूची में भी संशोधन किया गया और उसमें 44 और अधिनियम शामिल किए गए।

14:20, 31 अगस्त 2011 का अवतरण

भारत का संविधान (17वाँ संशोधन) अधिनियम,1964

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • अनुच्छेद 31क में और आगे संशोधन किया गया, जिसके अनुसार निजी खेती के अधीन भूमि का अधिग्रहण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि प्रतिपूर्ति के रूप में उसका बाज़ार मूल्य न दिया जाए।
  • साथ ही, इस संशोधन द्वारा उक्त अनुच्छेद में दी गई 'संपदा' की परिभाषा को पीछे की तारीख से लागू किया गया।
  • नौवीं अनुसूची में भी संशोधन किया गया और उसमें 44 और अधिनियम शामिल किए गए।
  • इसका उद्देश्य केरल और मद्रास राज्य द्वारा पारित भूमि सुधार अधिनियमों को सांविधानिक संरक्षण प्रदान करना है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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