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*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय [[मध्य प्रदेश]] के [[भोपाल]] शहर की बड़ी झील के पार्श्व में स्थित श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं।  
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'''इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय''' [[मध्य प्रदेश]] के [[भोपाल]] शहर की बड़ी झील के पार्श्व में स्थित श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं।  
 
*संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पध्दतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है।  
 
*संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पध्दतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है।  
 
*प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में टोडा, बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, अगरिया, राजवद, करवी, भील की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, मारिया लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है।  
 
*प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में टोडा, बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, अगरिया, राजवद, करवी, भील की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, मारिया लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है।  
 
*मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://citybhopal.com/IndiraGandhiMusim.html |title=इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय |accessmonthday=[[22 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हमारा शहर भोपाल |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
*मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://citybhopal.com/IndiraGandhiMusim.html |title=इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय |accessmonthday=[[22 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हमारा शहर भोपाल |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
  
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चित्र:Mridangam-Manav-Sangrahalaya.jpg|[[मृदंग]], इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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चित्र:Utensils-Manav-Sangrahalaya.jpg|घरेलू सामान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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चित्र:Radha-Krishna-Manav-Sangrahalaya.jpg|[[राधा]]-[[कृष्ण]], इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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06:45, 8 फ़रवरी 2012 का अवतरण

मणिपुर कला, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय मध्य प्रदेश के भोपाल शहर की बड़ी झील के पार्श्व में स्थित श्यामला पहाड़ी के शैल शिखरों पर लगभग 200 एकड़ परिक्षेत्र में स्थापित इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं।

  • संग्रहालय परिसर में वन-प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्र-तटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों द्वारा निर्मित या उन क्षेत्रों से प्रतिस्थापित तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पध्दतियों को प्रतिबिम्बित करती सामग्रियों और मूर्त वस्तुओं से युक्त जनजातियों के आवासों के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनी मानव विकास की अविरल परंपरा से अवगत कराती है।
  • प्रमुख आदिवासी प्रजातियों में टोडा, बाराली, बाडो, कछरी, कोटा, सोवरा, गदेव, कुटियाक, अगरिया, राजवद, करवी, भील की झोपड़ियाँ, बस्तर का रथ, मारिया लोगों का घोटुल, 110 फीट लकड़ी की बनी लकड़ी की नाव, शैलचित्र आदि अनेक प्रदर्शन है।
  • मानव संग्रहालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के मानव समूहों द्वारा संजोयी हुई धरोहरों, लोकगीतों आदि को जन-सामान्य का परिचय कराने हेतु समय-समय पर विविध समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) हमारा शहर भोपाल। अभिगमन तिथि: 22 मई, 2011

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