"आग के इलाक़े में आओ -अजेय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "अजेय् की रचनाएँ" to "अजेय की रचनाएँ")
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
 
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
 
{|  align="center"
 
{|  align="center"
! अजेय् की रचनाएँ
+
! अजेय की रचनाएँ
 
|}
 
|}
 
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
 
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">

06:03, 10 अप्रैल 2012 का अवतरण

आग के इलाक़े में आओ -अजेय
Ajey.JPG
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

कब तक टालते रहोगे
एक दिन आना ही होगा तुम्हें
आग के इलाके में
जहाँ जल जाता है वह सब जो तुमने ओढ़ रखा है
और जो नंगा हो जाने की जगह है
जहाँ से बच निकलने का कोई चोर दरवाज़ा नहीं है

तुम्हें आना चाहिए
स्वयं को परखने के लिए
बार-बार
आग के इस इलाके में

ज़रूरी नहीं कि तपकर तुम्हें सोना ही होना है

सौंधी और खरी
बेशक भुरभुरी
मिट्टी होने के लिए जो हवा में उड़ जाती है

और हवा होने के लिए भी
जो भर सकती है तमाम सूनी जगहों को
जो पतला है पानी से भी

और पानी होने के लिए भी
ढोता हुआ अपना पूरा वज़न जो
पहुँच सकता है आकाश तक

और आकाश होने के लिए भी
क्योंकि वही तो था आखिर
जब कुछ भी नहीं था
फिर सब कुछ हुआ जहाँ
और उस प्रचुरता को
भरपूर भोग लेने को उद्धत आतुर जीव भी हुए
और जीवों में श्रेष्ठतम तुम हुए
आदमी
अपनी ही एक आग लिए हुए भीतर

बोलो
खो देना चाहते हो क्या वह आग ?

अगर नहीं
वह आग होने के लिए
फिर से तुम्हें आना चाहिए
बार- बार आना चाहिए
आग के इलाके में !

अगस्त 2007


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख