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'''वर्गीज कुरियन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Verghese Kurien'', जन्म: [[26 नवंबर]], [[1921]] - मृत्यु: [[9 सितम्बर]], [[2012]]) [[भारत]] में दुग्ध क्रान्ति, जिसे 'श्वेत क्रान्ति' भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं। भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए श्वेत क्रांति लाने वाले वर्गीज कुरियन को देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखने का श्रेय जाता है।
 
'''वर्गीज कुरियन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Verghese Kurien'', जन्म: [[26 नवंबर]], [[1921]] - मृत्यु: [[9 सितम्बर]], [[2012]]) [[भारत]] में दुग्ध क्रान्ति, जिसे 'श्वेत क्रान्ति' भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं। भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए श्वेत क्रांति लाने वाले वर्गीज कुरियन को देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखने का श्रेय जाता है।
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
* वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को [[मद्रास]] (अब [[चेन्नई]]) में हुआ। [[जमशेदपुर]] स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई।  
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देश में 'श्वेत क्रांति के जनक' और 'मिल्कमैन' के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन की अथक मेहनत का ही नतीजा था कि [[दूध]] की कमी वाला यह देश दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में शुमार हुआ। 'श्वेत क्रांति' और दूध के क्षेत्र में सहकारी मॉडल के जरिये लाखों ग़रीब किसानों की ज़िंदगी संवारने वाली शख्सियत डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को [[मद्रास]] (अब [[चेन्नई]]) में हुआ।  
* बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।
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====प्रारंभिक जीवन====
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* [[जमशेदपुर]] स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई। बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।
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* भारत लौटने पर कुरियन को अपने बांड की अवधि की सेवा पूरी करने के लिए गुजरात के आणंद स्थित सरकारी क्रीमरी में काम करने का मौका मिला। 1949 के अंत तक कुरियन को क्रीमरी से कार्यमुक्त करने का आदेश दे दिया गया।
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* वर्गीज कुरियन ने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गयी थी।
 
* वर्गीज कुरियन ने [[महाराष्ट्र]] के 60 लाख किसानों की 60 हज़ार कोआपरेटिव सोसायटियाँ बनाईं, जो प्रतिदिन तीन लाख टन दूध सप्लाई करती हैं। इसी को श्वेत क्रान्ति और ‘ओपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस महान कार्य से जहाँ किसानों का भला हुआ, वहीं पर आम लोगों को [[दूध]] की उपलब्धि में भी सुविधा हुई। इन कार्यों के कारण इन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें विश्व खाद्य पुरस्कार ([[1989]]) और [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार|मैगसेसे]] ([[1963]]) पुरस्कार महत्त्वपूर्ण हैं।
 
* वर्गीज कुरियन ने [[महाराष्ट्र]] के 60 लाख किसानों की 60 हज़ार कोआपरेटिव सोसायटियाँ बनाईं, जो प्रतिदिन तीन लाख टन दूध सप्लाई करती हैं। इसी को श्वेत क्रान्ति और ‘ओपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस महान कार्य से जहाँ किसानों का भला हुआ, वहीं पर आम लोगों को [[दूध]] की उपलब्धि में भी सुविधा हुई। इन कार्यों के कारण इन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें विश्व खाद्य पुरस्कार ([[1989]]) और [[रेमन मैग्सेसे पुरस्कार|मैगसेसे]] ([[1963]]) पुरस्कार महत्त्वपूर्ण हैं।
 
* डॉ. कुरियन ने साल 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे। उनके [[परिवार]] में पत्नी और एक बेटी है।
 
* डॉ. कुरियन ने साल 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे। उनके [[परिवार]] में पत्नी और एक बेटी है।
* भारत सरकार ने उन्हें [[पद्म श्री]], [[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।
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==सम्मान और पुरस्कार==
* अरबों रुपए वाले ब्रांड ‘अमूल’ को जन्म देने वाले कुरियन का 9 सितम्बर 2012 को सुबह 90 वर्ष की आयु में [[नाडियाड]], [[गुजरात]] में निधन हो गया।
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भारत सरकार ने उन्हें [[पद्म श्री]], [[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।
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==निधन==
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अरबों रुपए वाले ब्रांड ‘अमूल’ को जन्म देने वाले कुरियन का 9 सितम्बर 2012 को सुबह 90 वर्ष की आयु में [[नाडियाड]], [[गुजरात]] में निधन हो गया।
  
 
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08:15, 10 सितम्बर 2012 का अवतरण

वर्गीज़ कुरियन
डॉ. वर्गीज कुरियन
पूरा नाम डॉ. वर्गीज कुरियन
अन्य नाम अमूल मैन, मिल्क मैन ऑफ़ इंडिया,
जन्म 26 नवंबर, 1921
जन्म भूमि मद्रास (अब चेन्नई)
मृत्यु 9 सितम्बर, 2012
मृत्यु स्थान नाडियाड, गुजरात
पति/पत्नी मॉली कुरियन
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
विशेष योगदान भारत में दुग्ध क्रान्ति, जिसे 'श्वेत क्रान्ति' भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं।
नागरिकता भारतीय

वर्गीज कुरियन (अंग्रेज़ी: Verghese Kurien, जन्म: 26 नवंबर, 1921 - मृत्यु: 9 सितम्बर, 2012) भारत में दुग्ध क्रान्ति, जिसे 'श्वेत क्रान्ति' भी कहा जाता है, के जनक माने जाते हैं। भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए श्वेत क्रांति लाने वाले वर्गीज कुरियन को देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखने का श्रेय जाता है।

जीवन परिचय

देश में 'श्वेत क्रांति के जनक' और 'मिल्कमैन' के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन की अथक मेहनत का ही नतीजा था कि दूध की कमी वाला यह देश दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में शुमार हुआ। 'श्वेत क्रांति' और दूध के क्षेत्र में सहकारी मॉडल के जरिये लाखों ग़रीब किसानों की ज़िंदगी संवारने वाली शख्सियत डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ।

प्रारंभिक जीवन

  • जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई। बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।
  • भारत लौटने पर कुरियन को अपने बांड की अवधि की सेवा पूरी करने के लिए गुजरात के आणंद स्थित सरकारी क्रीमरी में काम करने का मौका मिला। 1949 के अंत तक कुरियन को क्रीमरी से कार्यमुक्त करने का आदेश दे दिया गया।
  • वर्गीज कुरियन ने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गयी थी।
  • वर्गीज कुरियन ने महाराष्ट्र के 60 लाख किसानों की 60 हज़ार कोआपरेटिव सोसायटियाँ बनाईं, जो प्रतिदिन तीन लाख टन दूध सप्लाई करती हैं। इसी को श्वेत क्रान्ति और ‘ओपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस महान कार्य से जहाँ किसानों का भला हुआ, वहीं पर आम लोगों को दूध की उपलब्धि में भी सुविधा हुई। इन कार्यों के कारण इन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें विश्व खाद्य पुरस्कार (1989) और मैगसेसे (1963) पुरस्कार महत्त्वपूर्ण हैं।
  • डॉ. कुरियन ने साल 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है।

सम्मान और पुरस्कार

भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।

निधन

अरबों रुपए वाले ब्रांड ‘अमूल’ को जन्म देने वाले कुरियन का 9 सितम्बर 2012 को सुबह 90 वर्ष की आयु में नाडियाड, गुजरात में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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