अरितार

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अरितार
अरितार झील
अरितार झील
विवरण 'अरितार' भारतीय राज्य सिक्किम के ख़ूबसूरत स्थानों में गिना जाता है। यहाँ से कंचनजंघा की पहाड़ियों को बेहद करीब से देखा जा सकता है।
राज्य सिक्किम
स्थिति गंगटोक से तीन किलोमीटर की दूरी पर
ऊँचाई 4600 फीट
क्या देखें 'लंपोखरी झील', 'अरितार गुंपा', 'मंगखिम' और 'लव दारा'
संबंधित लेख सिक्किम, गंगटोक
अन्य जानकारी सिक्किम के रोंगली तहसील में पड़ने वाला अरितार हिमालय के किनारे पर बसा है। गंगटोक से पाकयोंग या रंगपो होते हुए यहां पहुंचने के लिए चार घंटे का समय लगता है।

अरितार सिक्किम के ख़ूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध इतिहास को अपने आप में समेटे पूर्वी सिक्किम का यह हिस्सा है। लुभावनी झील, घने जंगल, शानदार पहाड़ियां और चावल के खेत यहां आने वाले सैलानियों को स्वर्ग में होने का आभास कराते हैं। प्रकृति की गोद में बसे अरितार में सुबह का सुंदर नज़ारा लोगों को अचरज में डाल देने वाला होता है।

स्थिति

इतिहास में डूबी व कुदरती खूबसूरती से भरी जगह है 'अरितार'। यहां से कंचनजंघा की पहाड़ियों को बेहद करीब से देखा जा सकता है। लगभग 4600 फीट और सिक्किम की राजधानी गंगटोक से तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे इस छोटे-से हिल स्टेशन के पास लोगों को लुभाने के लिए बहुत कुछ है। घने जंगल, चावल के खेत और लुभावनी झील यहां आने वाले पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।[1]

इतिहास

वर्ष 1904 में भारत-तिब्बत व्यापार समझौते से अरितार को प्रसिद्धि मिली। सिक्किम में जब नई सड़क का निर्माण किया जाने लगा तो तिब्बतियों के मन में शंका पैदा हुई और इससे युद्ध छिड़ गया। तिब्बतियों ने सिक्कीम में जेलेपला दर्रे के निकट लिंगटू पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद लॉर्ड यंगहस्बैंड के नेतृत्व में तिब्बतियों से एक संधि की गई। इसका उद्देश्य तिब्बत में ब्रिटिश के व्यापारिक हितों की रक्षा करना था। व्यापार का मार्ग नाथूला दर्रा, रेनॉक, अरितार और जालक होते हुए दार्जिलिंग स्थित कालिमपोंग और पेडोंग से होकर जाता था।[2]

भूगोल

सिक्किम के रोंगली तहसील में पड़ने वाला अरितार हिमालय के किनारे पर बसा है। गंगटोक से पाकयोंग या रंगपो होते हुए यहां पहुंचने के लिए चार घंटे का समय लगता है। अरितार सिक्किम से काफ़ी कटा हुआ है और इसकी सीमा कंचनजंघा पहाड़ से लगती है।

संस्कृति और परंपरा

अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में अरितार में हर साल 'लंपोखरी टूरिज्म फेस्टिवल' का आयोजन किया जाता है। एडवेंचर को पंसद करने वाले लोग इस फेस्टिवल की ओर खूब आकर्षित होते हैं। यहां बोटिंग, घुड़सवारी, परंपरागत तीरंदाज़ी प्रतियोगिता और पहाड़ियों पर छोटे ट्रेकिंग का आनंद लिया जा सकता है। इतना ही नहीं, एडवेंचर के लिए यहां रॉक क्लाइबिंग और पैराग्लाइडिंग का भी खूब क्रेज है। अरितार की जातीय संस्कृति और भोजन ने इसे विश्व भर के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। फेस्टिवल के दौरान यहां स्थानीय स्वादिष्ट भोजन के अलावा आग पर पके मांस और स्थानीय शराब पर्यटकों को परोसा जाता है।

आसपास के पर्यटन स्थल

अरितार में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। इसमें लंपोखरी झील, जिसे 'अरितार झील' या 'घाटी-सो' के नाम से भी जाना जाता है; अरितार गुंपा, मंगखिम और लव दारा प्रमुख हैं।[2]

कब जाएँ

पूर्व वर्ष के दौरान अरितार का मौसम आरामदायक बना रहता है। यदि पर्यटक प्रकृति और एडवेंचर को पसंद करते हैं तो अरितार घूमना कभी खलेगा नहीं। फिर चाहे तो पहाड़ियों पर ट्रेकिंग करना हो या नौकायन। यहां घूमने के दौरान सुंदर जंगल, लंबे-लंबे वृक्ष और विशाल पहाड़ियों का आनंद लिया जा सकता है।

कैसे पहुंचे

हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अरितार पहुंचा जा सकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऊँचाई का मजा अरितार में (हिन्दी) नवभारत। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2014।
  2. 2.0 2.1 अरितार, जहाँ मिलती है मन को शांति (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2014।

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