इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र
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विवरण | भारत के प्रमुख परमाणु अनुसंधान केन्द्रों में एक है। |
स्थापना | 1971 |
उद्देश्य | देश में सोडियम शीतित द्रुत प्रजनक रिएक्टर (एफ.बी.आर) तथा संबद्ध ईंधन चक्र सुविधा प्रौद्योगिकी को स्थापित करने की दिशा में मुख्य उद्देश्य व्यापक अनेक शास्त्र विधाओं का वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रगति अभियांत्रिकी विकास कार्यक्रम को संचालित करना है |
संक्षिप्त नाम | आईजीसीएआर (IGCAR) |
अन्य जानकारी | केंद्र में कुल 2816 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिसमें 1274 अभियंता व वैज्ञानिक हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र भारत के प्रमुख परमाणु अनुसंधान केन्द्रों में एक है। सन 1971 ई. में फास्ट ब्रीडर टेक्नोलॉजी के अनुसंधान और विकास के लिए चेन्नई के कालपक्कम में इसकी स्थापना की गई। इसका संक्षिप्त नाम आईजीसीएआर (Indira Gandhi Centre for Atomic Research) है। आई जी सी ए आर ने फास्ट ब्रीडर रिएक्टर एफ बी टी आर को अभिकल्पित किया जो प्लूटोनियम और प्राकृतिक यूरेनियम मूलांश के साथ देशी मिश्रित ईंधन का इस्तेमाल करता है। इस अनुसंधान केंद्र ने देश का पहला न्यूट्रॉन रिएक्टर 'कामिनी' को भी विकसित किया। ध्रुव, अप्सरा और साइरस का इस्तेमाल रेडियो समस्थनिक (आइसोटोप) तैयार करने के साथ-साथ परमाणु प्रौद्योगिकियों व पदार्थों में शोध, मूल और व्यावहारिक शोध तथा प्रशिक्षण में किया जाता है। भारत विश्व का सातवाँ तथा प्रथम विकासशील देश है जिसके पास उत्कृष्ट फास्ट ब्रीडर प्रजनक प्रौद्योगिकी मौजूद है।[1]
उद्देश्य
देश में सोडियम शीतित द्रुत प्रजनक रिएक्टर (एफ.बी.आर) तथा संबद्ध ईंधन चक्र सुविधा प्रौद्योगिकी को स्थापित करने की दिशा में मुख्य उद्देश्य व्यापक अनेक शास्त्र विधाओं का वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रगति अभियांत्रिकी विकास कार्यक्रम को संचालित करना है। इस अभियान के अंतर्गत एफ.बी.आर. हेतु नवीन एवं उन्नत पदार्थों, तकनीकों, यत्रों व प्रणालियों का विकास, फास्ट रिएक्टर टेक्नोलॉजी में मूल अनुसंधान की सफलताओं को प्राप्त करना तथा उन पर अनुप्रयोग करना है।
विशेषताएँ
इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र अपने विशेषज्ञों व संसाधनों द्वारा सुरक्षा, अंतरिक्ष व अन्य भारतीय उद्योगों जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं में उत्पन्न विशेष प्रकार की समस्याओं के निवारण हेतु नवीन तकनीकी विकास कार्य में कार्यरत है ।केंद्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान, पिलानी, प्रादेशिक अभियांत्रिकी कॉलेज, राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं, पब्लिक यूनिट एवं विदेशी संस्थाओं जैसी शैक्षणिक एवं अनुसंधान व विकास संस्थाओं से सहयोग प्राप्त कर रहा है ।
- केंद्र में एक अत्याधुनिक पुस्तकालय है, जिसमें वैज्ञानिक व अभियंताओं की तकनीकी मांग अनुसार 62,000 पुस्तकें, 28,400 बैक वॉल्यूम्स लगभग 785 जर्नल्स तथा विभिन्न विषयों के 1.95 लाख रिकॉर्ड उपलब्ध हैं ।
- सेंट्रल वर्कशॉप में पूर्णतः अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध करायी गयी हैं, जिसके द्वारा उत्कृष्ट काम्पोनेंट्स का निर्माण किया जाता है ।
- कंप्यूटर सेंटर द्वारा उपभोक्ताओं की कंप्यूटर संबंधी मांग की पूर्ति हेतु सिलीकोन ग्राफिक्स पावर चैलेंज एल सर्वर, एसजीआई वर्क स्टेशन, 8 नोडेड जियॉन सर्वर्स जैसी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं ।
- केंद्र में कुल 2816 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिसमें 1274 अभियंता व वैज्ञानिक हैं ।
- केंद्र के अनुसंधान व विकास गतिविधियों व परियोजनाओं का कुल वार्षिक व्यय लगभग 670 लाख रुपए है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में परमाणु ऊर्जा (हिन्दी) (पी.एच.पी) जागरण जोश। अभिगमन तिथि: 27 अक्टूबर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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