इंद्रकील हिमालय के उतर में एक छोटा सा पर्वत।
'हिमवन्तमतिक्रम्य गंधमादनमेव च, अत्यक्रामत् स दुर्गाणि दिवारात्रमतिन्द्रत:। इंद्रकीलं समासाद्यततोऽतिष्ठद् धनंजय:'।[1]