वशिष्ठ पर्वत
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वशिष्ठ पर्वत का उल्लेख महाभारत, आदिपर्व में हुआ है-
'अगस्त्यवटमासाद्य वशिष्ठस्य च पर्वतम् भृगुतुंगे च कौन्तेय: कृतवाञ्छौचमात्मन:।'
- यह स्थान हिमालय के पार्श्व में 'गंगाद्वार' या 'हरद्वार' के ऊपर कहीं स्थित था, जैसा कि आदिपर्व[2] से सूचित होता है।[3]
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