बहिर्गिरि
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बहिर्गिरि का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है। इस उल्लेख के अनुसार अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में पाण्डव अर्जुन ने 'अंतर्गिरि', 'बहिर्गिरि' और 'उपगिरि' नामक हिमालय के पर्वतीय प्रदेशों को विजित किया था-
'अंतर्गिरि च कौंतेयस्तेथैव च बहिर्गिरिम् तथैवोपगिरि चैव विजिग्वे पुरुषषैभ:।'[1]
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