एस. राजेन्द्र बाबू
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एस. राजेन्द्र बाबू
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पूरा नाम | एस. राजेन्द्र बाबू |
जन्म | 1 जून, 1939 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | न्यायाधीश |
पद | मुख्य न्यायाधीश, भारत- 2 मई, 2004 से 1 जून, 2004 तक अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग- 2 अप्रॅल, 2007 से 31 मई, 2009 तक |
संबंधित लेख | भारत के मुख्य न्यायाधीश |
पूर्वाधिकारी | वी. एन. खरे |
उत्तराधिकारी | रमेश चंद्र लहोटी |
अद्यतन | 17:26, 19 अगस्त 2022 (IST)
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एस. राजेन्द्र बाबू (अंग्रेज़ी: S. Rajendra Babu, जन्म- 1 जून, 1939) भारत के 34वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। वह 2 मई, 2004 से 1 जून, 2004 अर्थात मात्र 30 दिनों तक ही मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। उन्होंने अपने से पूर्व न्यायाधीश वी. एन. खरे का स्थान लिया था।
- राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में एस. राजेन्द्र बाबू को मुख्य न्यायधीश की शपथ दिलाई थी।
- एस. राजेन्द्र बाबू के शपथ ग्रहण के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा क़ानून और न्याय मंत्री अरुण जेटली के अलावा सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश तथा अनेक हस्तियाँ मौजूद थीं।[1]
- जस्टिस बाबू स्वतंत्र भारत के 34वें मुख्य न्यायधीश रहे। वह सिर्फ़ 31 दिनों के लिए ही मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे, क्योंकि वह 1 जून, 2004 को सेवानिवृत्त हो गये।
- 16 महीनों से भी अधिक समय तक मुख्य न्यायधीश का पद संभालने के बाद जस्टिस वी. एन. खरे सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद एस. राजेन्द्र बाबू मुख्य न्यायाधीश बने।
- सन 1965 में वकील बनने के बाद राजेन्द्र बाबू को 1988 में कर्नाटक उच्च न्यायालय का स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया था।
- सन 1997 में वे सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश बने, जिसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाए। इन फ़ैसलों में भारत की तेल कंपनियों, एचपीसीएल और बीपीसीएल के विनिवेश के बारे में सुनाया गया उनका फ़ैसला भी शामिल है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ एस राजेंद्र बाबू नए मुख्य न्यायाधीश (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2021।
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