रंजन गोगोई

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रंजन गोगोई
रंजन गोगोई
रंजन गोगोई
पूरा नाम रंजन गोगोई
जन्म 18 नवम्बर, 1954
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय न्यायपालिका
प्रसिद्धि भारत के मुख्य न्यायाधीश
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, भारत के मुख्य न्यायाधीश
द्वारा नियुक्ति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पूर्व न्यायाधीश दीपक मिश्रा
कार्यकाल रंजन गोगोई का कार्यकाल 3 अक्टूबर, 2018 से 17 नवम्बर, 2019 तक होगा।
अन्य जानकारी रंजन गोगोई पहले मुख्‍य न्‍यायाधीश होंगे, जिनके पिता मुख्यमंत्री रहे।
अद्यतन‎

रंजन गोगोई (अंग्रेज़ी: Ranjan Gogoi, जन्म- 18 नवम्बर, 1954) भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्‍ठ जज जस्टिस रंजन गोगोई तीन अक्‍टूबर को नए मुख्‍य न्‍यायाधीश का पदभार संभालेंगे। वे 3 अक्टूबर, 2018 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्ति के बाद भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश होंगे और 17 नंवबर, 2019 तक उनका कार्यकाल होगा। जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्‍तर भारत के पहले मुख्‍य न्‍यायधीश होंगे। वह भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश हैं। वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।

परिचय व शिक्षा

देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के शीर्ष पद तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया है और वह इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं। 18 नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा अर्जित की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की। जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के 46वें चीफ जस्टिस के रूप में 3 अक्टूबर को शपथ लेंगे। जस्टिस गोगोई पूर्वोत्तर भारत से पहले चीफ जस्टिस होंगे। ऐसे ही वे सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस होंगे, जिनके पिता मुख्यमंत्री रहे हों। इनके पिता केशब चंद्र गोगोई असम में कांग्रेसी नेता थे और वर्ष 1982 में मुख्यमंत्री भी रहे हैं।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई जनवरी 18 में सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे। उन्होंने कहा था, 'स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं।' उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवायोग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की ज़रूरत है। उन्होंने असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों की विशेष तौर पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सज़ा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न विषयों पर अहम फैसले दिए हैं।[1]


सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह बताते हैं कि जस्टिस गोगोई मृदुभाषी हैं, लेकिन सख्त मिजाज हैं। वह कहते हैं कि जस्टिस गोगोई अनुशासनप्रिय जज रहे हैं। अगर कोई वकील पूरी तरह ड्रेसअप होकर नहीं आता है, तो उसे अपनी कोर्ट में बोलने की अनुमति नहीं देते। ड्रेसअप को लेकर अफसरों तक को फटकार लगा चुके हैं।

जस्टिस गोगोई को अन्याय बर्दाश्त नहीं होता और उसके खिलाफ वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका उदाहरण देश दो बार देख चुका है। पहली बार तब जब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे।[2]

कॅरियर

असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उनका 9 सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया था। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (63) जनवरी में उच्चतम न्यायालय के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे। उन्होंने कहा था, ‘‘स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं। ’’ उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवायोग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की ज़रूरत है। उन्होंने असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों की विशेष तौर पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न विषयों पर अहम फैसले दिए हैं।[3]

पद की चुनौतियाँ

  1. मुख्‍य न्‍यायाधीश के समक्ष कामकाज की फेहरिस्‍त में सबसे ऊपर संवदेनशील अयोध्‍या विवाद का मामला है। इसे निपटाना उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी। देश के लिए यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर सबकी निगाहें होंगी। ख़ास बात यह है कि इस मामले में 28 अक्‍टूबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है। इस मामले में नए सीजेआइ गोगाेई को तीन बेंच के लिए जजों का ऐलान करना है। यह मामला पिछले आठ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
  2. पदभार ग्रहण करने के बाद मुख्‍य न्‍यायाधीश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती न्‍यायिक कामकाज की भारी भरकम सूची को निपटाने की होगी। मौजूदा समय में करीब 3.30 करोड़ मामले लंबित पड़े हैं।
  3. उनकी दूसरी सबसे बड़ी चुनौती करीब एक दशक से न्‍यायपालिका में जजों के खाली पदों को भरने की है। जजों की कमी के कारण चुनौतियां लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा जजों की नियुक्ति को लेकर न सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट बल्कि हाई कोर्ट में भी नियुक्तियां करना एक चुनौती होगी।
  4. मुख्‍य न्‍यायाधीश के समक्ष एक और चुनौती होती है केंद्रीय बजट की। देश की न्‍याययिक संस्‍थाओं में बुनियादी ढांचे समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बजट बढ़ाने की तुरंत चुनौती होगी। 2017-18 में केंद्रीय बजट का महज 0.4 फीसदी ही न्‍यायिक व्‍यवस्‍था के लिए मिला है।

अहम फैसले

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस रंजन गोगोई कई पीठों में शामिल रहे। इस दौरान उन्‍होंने कई अहम फैसले भी सुनाए हैं-

  1. चुनाव के दौरान उम्‍मीदवारों की संपत्ति, शिक्षा व चल रहे मुकदमों का ब्‍यौरा देने के लिए आदेश देने वाली पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे।
  2. मई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में केवल राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के प्रधान न्‍यायाधीश की तस्‍वीरें ही शामिल हो सकती हैं। इसका मकसद यह सुनिचित करना था कि राजनेता राजनीतिक फायदे के लिए करदाता के पैसे का बेजा इस्‍तेमाल नहीं कर सकें। इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की गई थी, जिसमें गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी।
  3. वर्ष 2016 में जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिस भेजा था। जस्टिस काटजू ने अपने एक फेसबुक पोस्‍ट में सोम्‍या दुष्कर्म और हत्या मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले की निंदा की थी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दुष्कर्म का दोषी करार दिया, लेकिन हत्‍या का नहीं। यह फैसला जस्टिस गोगोई की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्‍होंने फेसबुक के पोस्‍ट के लिए माफी भी मांगी थी।
  4. कोलकाता हाईकोर्ट के जज कर्णन को छह महीने की कैद की सजा सुनाई और असम में राष्‍ट्रीय नागरिकता रजिस्‍टर एनआरसी बनाने वाली पीठ में शामिल रह चुके हैं। जाटों को केंद्रीय सेवा से बाहर रखने वाली पीठ का भी हिस्‍सा रह चुके हैं जस्टिस गोगोई।[4]

मुख्य बातें

  1. असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की।
  2. रंजन गोगोई को 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
  3. 9 सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उनका तबादला किया गया था। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
  4. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई 23 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए।
  5. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई 3 अक्टूबर को 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे। वह 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे।[5]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत के अगले CJI रंजन गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं, जानिये उनसे जुड़ी 5 बातें... (हिंदी) punjabkesari। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर, 2018।
  2. रंजन गोगोई पहले चीफ जस्टिस होंगे, जिनके पिता सीएम रहे (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर, 2018।
  3. जानिए कौन हैं जस्टिस रंजन गोगोई, कैसा रहा न्यायाधीश बनने तक का सफर (हिंदी) punjabkesari। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर, 2018।
  4. जानें, नए CJI जस्टिस गोगोई की एक बड़ी चुनौती, इस पर टिकी है देश की निगाहें (हिंदी) ख़बर न्यूज़ डेस्क। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर, 2018।
  5. भारत के अगले CJI रंजन गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं, जानिये उनसे जुड़ी 5 बातें (हिंदी) ख़बर न्यूज़ डेस्क। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूबर, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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