कबीर करनी क्या करै -कबीर
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कबीर करनी क्या करै, जे राँम न करै सहाइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि यदि मनुष्य को भगवान की सहायता न मिले तो वह अपने उपाय से क्या कर सकता है? प्रभु की सहायता के बिना साधक जिस डाल का आश्रय लेकर ऊपर चढ़ना चाहता है अर्थात् साधना में जिस मार्ग का अवलम्ब लेकर आगे बढ़ना चाहता है, वही डाल नीचे झुक जाती है और साधक के नीचे गिर जाने की आशंका उत्पन्न हो जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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