कबीर दुविधा दूरि करि -कबीर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
| ||||||||||||||||||||
|
कबीर दुविधा दूरि करि, एक अंग ह्वै लागि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! संशय को छोड़कर, अतिवादी दृष्टियों को त्यागकर मध्यम वर्ग में लग जाना चाहिए। अत्यधिक शीतलता और अत्यधिक ताप दोनों अग्नि के समान विनाशक होते हैं। इसलिए मध्यम मार्ग ही श्रेष्ठ है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख