कबीर हरि की भगति करि -कबीर
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कबीर हरि की भगति करि, तजि बिषिया रस चौज। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! मानव जन्म का उल्लासपूर्ण शुभ अवसर बार-बार नहीं मिलता। इसलिए इस जन्म को पाकर विषय-रस के चमत्कार और आस्वाद को छोड़कर तू प्रभु की भक्ति करता रह।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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