करम करीमाँ लिखि रहा -कबीर
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करम करीमाँ लिखि रहा अब कुछ लिखा न जाइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! कृपालु प्रभु ने तेरे कर्मों के अनुसार फल का लेखा-जोखा तैयार कर रखा है। अब उसके आगे कुछ भी नहीं लिखा जा सकता। इसमें कुछ भी घट-बढ़ नहीं हो सकती, व्यक्ति चाहे जितना कोशिश क्यों न करे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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