कहा कियो हम आइ करि -कबीर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
| ||||||||||||||||||||
|
कहा कियो हम आइ करि, कहा कहैंगे जाइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जीव को स्वयं पर पछतावा हो रहा है कि इस संसार में आकर हमने क्या किया, इस विषय में यहाँ से जाने के बाद प्रभु के सामने हम क्या कहेंगे ? हम न तो इस लोक के हुए, न परलोक के। हमने अपना नैसर्गिक सरलता भी गँवा दिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख