पुरातत्वीय संग्रहालय, कांगड़ा
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विवरण | कांगड़ा क़िले में स्थित इस पुरातत्वीय संग्रहालय को जनता के लिए 26 जनवरी, 2002 को खोला गया था। |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
नगर | कांगड़ा |
गूगल मानचित्र | |
खुलने का समय | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक |
अवकाश | शुक्रवार |
अन्य जानकारी | इस क़िले के पादस्थल के पूर्व पर स्थित तथा ऊपर से बहकर आती सुंदर नदी बाणगंगा, संग्रहालय में ऐतिहासिक कालों की मूर्तियों, वास्तुकला के अवशेषों, सिक्कों और चित्रों के अलावा प्रागैतिहासिक कालों के पत्थर के औजारों का अच्छा संग्रह है। |
अद्यतन | 19:02, 12 जनवरी 2015 (IST)
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पुरातत्वीय संग्रहालय, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में स्थित है। कांगड़ा क़िला, कांगड़ा स्थित इस पुरातत्वीय संग्रहालय को जनता के लिए 26 जनवरी, 2002 को खोला गया था। इस क़िले के पादस्थल के पूर्व पर स्थित तथा ऊपर से बहकर आती सुंदर नदी बाणगंगा, संग्रहालय में ऐतिहासिक कालों की मूर्तियों, वास्तुकला के अवशेषों, सिक्कों और चित्रों के अलावा प्रागैतिहासिक कालों के पत्थर के औजारों का अच्छा संग्रह है।
विशेषताएँ
सभी कलावस्तुओं को वर्गीकृत किया गया है और संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं में चार मुख्य खंडों में व्यवस्थित किया गया है। वर्षों से इन वस्तुओं को विभिन्न स्रोतों से अर्जित किया गया है जो सभी पंजीकृत और पूर्ण रूप से प्रलेखित हैं। इनमें से सर्वोत्तम को प्रदर्शित किया गया है।
खण्ड 1 (पूर्व ऐतिहासिक खंड)
इस खण्ड में निम्न पुरापाषाण काल के औजार प्रदर्शित हैं जिनमें गंडासा, एक पृष्ठीय और द्विपृष्ठीय पत्थर के औजार, हाथ की कुल्हाड़ियां, फावड़े (क्लीवर) इत्यादि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें ट्रांस्लाइटों और चार्टों को प्रदर्शित किया गया है जो मनुष्य के विकास और इसकी विभिन्न सांस्कृतिक अवस्थाओं को दर्शाते हैं। इस खंड में एक ट्रांस्लाइट विशेष रूप से कांगड़ा क़िला और सामान्य रूप से कांगड़ा क्षेत्र के संक्षिप्त इतिहास को उजागर करता है।
खण्ड 2 (मूर्ति खंड)
इस खण्ड में एक ओर शिव, विष्णु, उमा महेश्वर, गणेश, हनुमान आदि अनेक हिन्दू और जैन देवताओं को दर्शाया गया है तथा दूसरी ओर जैन तीर्थंकरों को दर्शाया गया है। जैन मूर्तियों में सर्वाधिक उल्लेखनीय मूर्ति प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की है जिसकी पीठिका पर अभिलेख लिखा है। इस खण्ड में प्रदर्शित वास्तुकला के अवशेषों और खण्डित टुकड़ों को अधिकतर हिन्दू मन्दिरों से प्राप्त किया गया है और इनमें स्तम्भ आधार, ब्रैक्टि कैपिटल (शीर्ष), छज्जे के टुकड़े इत्यादि शामिल हैं। इनमें से अधिकतर अवशेष उन क्षतिग्रस्त हो गए मन्दिरों के भाग हैं जो 1905 में सम्पूर्ण कांगड़ा क्षेत्र में आए भयंकर भूकम्प में नष्ट हो गए थे।
खण्ड 3 (सिक्का संग्रह खण्ड)
इस खण्ड में इस क्षेत्र के विभिन्न वंशों के शासकों अर्थात् हिन्दूशाही, कटोच और मुस्लिम शासकों के चाँदी और तांबे के सिक्कों को प्रदर्शित किया गया है। इसके अतिरिक्त यहाँ ब्रिटिश काल के सिक्के भी मौजूद हैं।
खण्ड 4 (चित्रकारी खण्ड)
इस खण्ड में लघु चित्रों को रखा गया है। इनमें से अधिकतर कांगड़ा शैली के चित्र हैं। इन चित्रों का मुख्य सार राधा और कृष्ण के प्रेम दृश्य हैं जो पौराणिक कथाओं तथा अन्य पारम्परिक स्रोतों से प्रेरित हैं। संग्रहालय में रखा गया एक ओर आकर्षण चामुंडा देवी का एक पीतल का लघु डोला (छोटी पालकी) है जिन्हें सम्पूर्ण कांगड़ा क्षेत्र में अत्यन्त श्रद्धा से पूजा जाता है। इसके अतिरिक्त मूर्तियों और वास्तुकला के अवशेषों का एक छोटा आरक्षित संग्रह है जिनमें से कुछ अवशेष इस क्षेत्र की मूर्ति और वास्तुकला की सम्पदा के उत्तम नक्काशीदार सुन्दर नमूने हैं। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय-कांगड़ा (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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