पुरातत्वीय संग्रहालय, कोणार्क
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विवरण | सूर्य मन्दिर की टूटी हुई प्रतिमाओं तथा वास्तुकला की वस्तुओं के संग्रह वाले इस संग्रहालय को वर्तमान संग्रहालय इमारत में 1968 में स्थानांतरित किया गया। |
राज्य | ओडिशा |
नगर | कोणार्क |
स्थापना | 1968 |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | गलियारे (कॉरिडोर) का उपयोग विभिन्न प्राचीन स्मारकों तथा उड़ीसा की वास्तुकला के उद्भव तथा विकास को दर्शाने वाले उड़ीसा के पुरातत्वीय स्थलों के चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है। |
पुरातत्वीय संग्रहालय, कोणार्क ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है। सूर्य मन्दिर की टूटी हुई प्रतिमाओं तथा वास्तुकला की वस्तुओं के संग्रह वाले इस संग्रहालय को वर्तमान संग्रहालय इमारत में 1968 में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान संग्रहालय मुख्य मन्दिर से कुछ ही दूरी पर, उत्तर दिशा में स्थित है।
विशेषताएँ
- संग्रहालय में चार दीर्घाएं हैं जिनमें सूर्य मन्दिर के निकासी कार्य से प्राप्त 260 विभिन्न पुरावस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इसके अतिरिक्त, इसमें एक समृद्ध आरक्षित संग्रह है।
- प्रथम दीर्घा में 62 पुरावस्तुएं हैं। सूर्य मन्दिर के कॉम्पलेक्स से प्राप्त मूर्तियों में से कई इसी दीर्घा में प्रदर्शित की गई हैं। बलुआ पत्थर की सूर्य की प्रतिमा, क्लोराइट पत्थर की मूर्तियॉं प्रदर्शित की गई हैं जिनमें चर्चारत राजा, विवाह-दृश्य तथा विष्णु के विभिन्न अवतार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य महत्वपूर्ण पुरावस्तुएं प्रदर्शन मंजूषाओं में प्रदर्शित की गई हैं।
- द्वितीय दीर्घा में 108 पुरावस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। दीर्घा में प्रदर्शित मुख्य वस्तुओं में मन्दिर की पुन: निर्मित दीवार, पूजा पद्धति से सम्बन्धित वस्तुएं जैसे दिक्पाल तथा दिव्य परियाँ, मगरमच्छ का विशालकाय सिर, पत्थर पर उकेरे हुए पेड़-पौधे तथा जीव जन्तु, ढोल बजाने वाला आदि हैं।
- तृतीय दीर्घा में, 45 वस्तुएं हैं। दीर्घा में उत्तम कारीगरी की विशाल मूर्तियाँ प्रदर्शित की गई हैं जिनमें दिव्य परियाँ, सूर्य नारायण की मूर्ति, गज-व्याल, राजा तथा उसकी सेना की मूर्तियाँ शामिल हैं। इस दीर्घा में कुछ श्रृंगारिक मूर्तियाँ भी प्रदर्शित हैं। कई मूर्तियाँ प्रदर्शन मंजूषाओं में भी प्रदर्शित की गई हैं।
- चौथी दीर्घा हाल ही में स्थापित की गई है तथा इसमें 45 शिल्प-उपकरण प्रदर्शित हैं। प्रदर्शित वस्तुओं में गर्जन करता हुआ सिंह, हाथी की सूंड़ से बंधा हुआ व्यक्ति, मन्दिर में प्रनाला के प्रयोग हेतु मगरमच्छ का सिर, सूर्य की मूर्ति तथा नृत्य देखते राजा की मूर्ति के भाग, कामुक युगल, सतभंजिका, भित्ति-स्तंभ पर हाथी, सूचीनुमा कृतियां और हाल लेता हुआ हंस इत्यादि शामिल हैं।
- गलियारे (कॉरिडोर) का उपयोग विभिन्न प्राचीन स्मारकों तथा उड़ीसा की वास्तुकला के उद्भव तथा विकास को दर्शाने वाले उड़ीसा के पुरातत्वीय स्थलों के चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय-कोणार्क (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 15 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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