गाया तिन पाया नहीं -कबीर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
| ||||||||||||||||||||
|
गाया तिन पाया नहीं, अनगायाँ तै दूरि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जिन्होंने बिना विश्वास के प्रभु का गुणगान किया, भक्ति का ढिंढोरा पीटा, वे प्रभु को प्राप्त करने में असमर्थ हैं, जो प्रभु का नाम लेते ही नहीं, उनसे तो वह दूर ही है। जो श्रद्धा और विश्वास के साथ राम-नाम का गुणगान करते हैं, उनके रोम-रोम में प्रभु व्याप्त रहते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख