गॉल्फ़ एकल प्रतियोगियों द्वारा खेला जाने वाला खेल, जिसका उद्देश्य एक छोटी, सख़्त गेंद को एक छड़ीनुमा क्लब से छेदों की श्रृंखला की ओर व उनके अंदर धकेलना होता है। सबसे कम प्रहारों में गेंद को छेद में डालने वाला खिलाड़ी विजेता बनता है। यह खेल एक खुले मैदान में, जिसमें 9 अथवा 18 प्रहार क्षेत्र व उनके छेद होते हैं, खेला जाता है।
उद्भव
इस खेल का उद्भव स्कॉटलैंड में हुआ व इसने अपनी अस्पष्ट प्राचीनता से विश्वव्यापी लोकप्रियता तक का सफ़र तय किया है। इसके खिलाड़ी मात्र मनोरंजन से लेकर टेलीविज़न पर प्रसारित लोकप्रिय व्यावसायिक प्रतिस्पर्द्धाओं तक प्रत्येक स्तर के गॉल्फ़ में भाग लेते हैं, किंतु इसके आकर्षण के बावजूद गॉल्फ़ आम आदमी का खेल नहीं है; इसके लिए अत्याधिक निपुणता व खेल सामग्री में लागत व प्रशिक्षण शुल्क की आवश्यकता है, जिसे कोई सामान्य व्यक्ति शायद सार्थक नहीं मानेगा। इसने इसे उच्च वर्ग का शौक़ बना दिया है।
इतिहास
इस खेल का पहला लिखित उल्लेख 1457 में मिलता है, जब राजा जेम्स द्वितीय दरबार ने निर्णय किया कि 'फ़्यूट-बॉल' और गॉल्फ़, दोनों की तीव्र निंदा की जानी चाहिए; क्योंकि ये राज्य की रक्षा के लिए आवश्यक धनुर्विधा के अभ्यास में बाधक थे। ऐसे ही निर्णय 1471 व 1491 में भी पारित किए गए थे। इन क़ानूनों का एक सहज निहितार्थ यह था कि गॉल्फ़ स्कॉटलैंड में मध्य 15वीं शताब्दी से भी पहले एक लोकप्रिय खेल बन चुका था।
विकास
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक व्यवस्थित खेल के रूप में गॉल्फ़ का विकास निश्चित रूप से ब्रिटिश था और ब्रिटेन ने खेल के सबसे पहले महान् खिलाड़ी पैदा किए। जब स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में प्रारंभिक गॉल्फ़ संगठनों या संघों की स्थापना हुई, तब व्यावसायिक खिलाड़ियों का एक समूह उदित हुआ, जिनमें से कई असाधारण गॉल्फ़ खिलाड़ी थे, जो सभी प्रतियोगियों को हराकर अपने समय के सारे लोकप्रिय इनामी मुक़ाबलों को जीत लेते थे। सेंट एंड्रयूज़ रॉबर्टसन को अपने समय का महानतम गॉल्फ़ खिलाड़ी माना जाता था। गॉल्फ़ में जीते जा सकने वाले आर्थिक पारितोषिकों में लगभग 1950 के बाद भारी बढ़ोत्तरी के साथ ही अन्य देशों के खिलाड़ी भी शीर्ष प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगे।
प्रतियोगिताएँ
खेल की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिताएँ ब्रिटिश द्वीपों की ओपन व शौक़िया प्रतियोगिताएँ, अमेरिका की ओपन, शौक़िया, प्रोफ़ेशनल गोल्फ़र्स एसोसिएशन (पी. जी. ए.) और मास्टर्स हैं। वर्षों से जैक निकलॉस, स्टीव बैलेस्टेरॉस, निक फ़ेल्डो, आर्नल्ड पामर, ग्रेग नॉर्मन, बर्नार्ड लैंगर और हाल में अर्नी एल्स व टाइगर वुड्स ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता बनाए रखी है।
भारत में गॉल्फ़
ग्रेट ब्रिटेन के बाहर भारत में प्राचीनत क्लब 'रॉयल कलकत्ता गॉल्फ़ क्लब' की स्थापना 1829 में की गई थी और 'रॉयल बॉम्बे गॉल्फ़ क्लब' लगभग 12 वर्षों बाद अस्तित्व में आया। 'रॉयल कलकत्ता गॉल्फ़ क्लब' ने भारत के लिए एक शौकिया प्रतियोगिता प्रारंभ की और दोनों संघों ने सुदूर पूर्व में कई संघों का मार्ग प्रशस्त किया।
यद्यपि भारत में यह खेल शेष विश्व में इसकी शुरुआत के काफ़ी पहले आरंभ हुआ था, लेकिन यह देश कुछ विजेता खिलाड़ी पाने के लिए कोशिश ही करता रहा है। 20वीं शताब्दी के अंत में एक पीजीए स्पर्द्धा भारत में आयोजित हुई और लगभग इसी समय कुछ भारतीयों ने अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में अपना स्थान बनाना आरंभ किया।
प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी
अली शेर बसद अली, अर्जुन अटवाल, ज्योति रंधावा और जीव मिल्खा सिंह अंतर्राष्ट्रीय गॉल्फ़ में प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी हैं और उनके प्रदर्शन ने देश में इस खेल के प्रति काफ़ी रुचि जगाई है। लेकिन किसी भारतीय खिलाड़ी ने अब तक कोई प्रमुख प्रतियोगिता नहीं जीती है या राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वृहद रूप से ध्यान आकृष्ट नहीं किया है। हाल में बढ़ी इस खेल की लोकप्रियता निश्चित ही एक सकारात्मक संकेत है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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