चौसठि दीवा जोइ करि -कबीर
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चौसठि दीवा जोइ करि, चौदह चंदा माँहि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि ईश्वर भक्ति के बिना केवल कलाओं और विद्याओं की निपुणता मात्र से मनुष्य का कल्याण सम्भव नहीं है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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