जदि का माइ जनमियाँ -कबीर
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जदि का माइ जनमियाँ, काहू न पाया सुख। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि मुझे जब से माता ने जन्म दिया, मैंने कहीं सुख नहीं पाया। यदि मैं डाल-डाल पर रहता हूँ तो दु:ख आगे पात-पात पर रहता है अर्थात् मैं जितना ही दु:ख से बचने का उपाय करता हूँ, उतना ही दु:ख प्रत्यक्ष दिखायी देती है। केवल प्रभु की शरण में ही सुख है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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