जाका गुरु भी अँधला -कबीर
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जाका गुरु भी अँधला, चेला खरा निरंध। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि अज्ञानी गुरु का शिष्य भी अज्ञानी ही होगा। ऐसी स्थिति में दोनों ही नष्ट होंगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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