जिनके नौबति बाजती -कबीर

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जिनके नौबति बाजती -कबीर
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

जिनके नौबति बाजती, मंगल बँधते बारि ।
एकै हरि के नाँव बिन, गए जनम सब हारि।।

अर्थ सहित व्याख्या

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जिनके द्वार पर वैभव-सूचक नगाड़े बजते थे और मतवाले हाथी झूमते थे, उनका जीवन भी प्रभु के नाम-स्मरण के अभाव में सर्वथा व्यर्थ ही हो गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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