जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस -कबीर
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जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस, फुनि रसना नहिं राम। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि जिनके हृदय में न प्रेम है, न प्रेम का आस्वाद और जिनकी जिह्वा पर राम नाम भी नहीं है, वे मनुष्य इस संसार में व्यर्थ पैदा होकर नष्ट होते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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