जिहि हरि की चोरी करी -कबीर
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जिहि हरि की चोरी करी, गये राम गुन भूमि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जो प्रभु के भजन से जी चुराते हैं और राम के गुणों को भूल जाते हैं, उन्हें ब्रह्मा ने बगुले के रूप में बनाया है जो कि मछली की खोज में नीचे सिर लटकाये रहते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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