तत्त तिलक तिहुँ लोक मैं -कबीर
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तत्त तिलक तिहुँ लोक मैं, रामनाम निज सार। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि तीनों लोकों में श्रेष्ठ तत्त्व रामनाम है और वही अपना भी सार है। भक्त कबीर ने अपने मस्तक पर उसको धारण कर लिया और इससे उनके जीवन में अपार शोभा आ गयी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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