तेरा संगी कोइ नहीं -कबीर
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तेरा संगी कोइ नहीं, सब स्वारथ बँधी लोइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! तेरा कोई परम मित्र नहीं है, सब लोग अपने-अपने स्वार्थ में बँधे हुए हैं। परन्तु तू ऐसा अज्ञानी है कि इस कटू सत्य के प्रति तेरे मन में प्रतीति नहीं होती और न तेरे हृदय में विश्वास जमता है। कोई भी तेरे साथ न जाएगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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