नरेसर

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नरेसर अथवा 'नलेसर' ग्वालियर, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक ग्राम था। एक मत के अनुसार ग्वालियर के दुर्ग से प्राय: 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पूर्व के अंतर्गत बसे हुए इस ग्राम का अभिज्ञान नरराष्ट्र से किया जा सकता है।[1]

'नरराष्ट्रं च निर्जित्य कुंतिभोजमुपाद्रवत्, प्रीतिपूर्व च तरयासो प्रतिजग्राह शासनम्'[2]

अर्थात् "सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में नरराष्ट्र को जीतकर कुंतिभोज पर चढ़ाई की।"

  • ग्वालियर के दुर्ग से प्राय: 10 मील की दूरी पर उत्तर-पूर्व वनप्रांत के अंतर्गत नरेसर ग्राम के खंडहर उपस्थित हैं।
  • 11वीं-12वीं शतियों के मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश शैव मत से संबंध रखते हैं।
  • नरराष्ट्र और नरेसर नामों में ध्वनिसाम्य तो है ही, इसके अतिरिक्त नरेसर बहुत प्राचीन भी है, क्योंकि यहाँ से अनेक पूर्व मध्यकालीन मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष भी मिले हैं।
  • नरेसर के खंडहर विस्तीर्ण भू-भाग में फैले हुए हैं, और संभव है कि यहाँ से उत्खनन में और अधिक प्राचीन अवशेष प्राप्त हों।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 482 |
  2. महाभारत, सभापर्व, 31, 6.

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