प्रादेशिक विश्वविद्यालय

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  • राज्य स्तर के विश्वविद्यालय राज्य विधान अधिनियम द्वारा स्थापित किए गए हैं।
  • जिन विश्वविद्यालयों की स्थापना राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए क़ानून के अंतर्गत होती है, उन्हें 'स्टेट यूनिवर्सिटीज' कहा जाता है। स्टेट यूनिवर्सिटीज़ राज्य बनाते हैं।[1]
  • विश्वविद्यालय अनुदान अधिनियम की धारा 12(ख) के अनुसार, 17 जून, 1972 के बाद स्थापित हुए राज्य विश्वविद्यालय केन्द्रीय सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अथवा भारत सरकार से धन प्राप्त करने वाले किसी अन्य संगठन से पात्र नहीं होंगे जब तक कि आयोग विहित मानदंडों और प्रक्रियाओं के अनुसार स्वयं यह तसल्ली नहीं कर लेगा कि वह विश्वविद्यालय अनुदान प्राप्त करने के योग्य हैं।
  • इस समय 251 राज्य विश्वविद्यालय हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इनमें से केवल 123 'राज्य विश्वविद्यालयों' को जिनमें मेडीकल और कृषि विश्वविद्यालय शामिल नहीं हैं, बजट योजना नियत कर रहा है, तथापि अन्य राज्य विश्वविद्यालय, तकनीकी विश्वविद्यालय जिनमें इंजीनियरी और कृषि विभाग शामिल हैं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से विशेष अनुदान प्रदान किए जा रहे हैं।
  • राज्य विश्वविद्यालयों का विकास राज्य सरकारों के अधीन है। सभी पात्र राज्य विश्वविद्यालयों को विशेष योजनाओं के अधीन अनुदानों सहित विशेष अनुदान दिए जाते हैं। इससे आधारिक सुविधाएं, जो राज्य विश्वविद्यालयों अथवा उसका अनुसरण और समर्थन करने वाले अन्य निकायों से सुलभ नहीं हो पाती, की अधिप्राप्ति, वृध्दि और स्तरोन्नयन का काम होता है।
  • भारत में 215 स्टेट यूनिवर्सिटीज़ हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई देश की सबसे पुरानी स्टेट यूनिवर्सिटीज़ हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कितनी तरह की यूनिवर्सिटीज (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 जून, 2011।
  2. कितनी तरह की यूनिवर्सिटीज (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 जून, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

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